मध्य प्रदेश में 18 साल से चले आ रहे शिव-राज का उस समय खात्मा हो गया जब मध्य प्रदेश के मामा की जगह भाजपा आला कमान ने मोहन यादव को मध्य प्रदेश का नया मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया। मोहन यादव उज्जैन दक्षिण सीट से विधायक हैं, उन्हें सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुना गया है। जगदीश देवड़ा और राजेश शुक्ला को उपमुख्यमंत्री के तौर पर चुना गया है वहीँ केंद्रीय मंत्री रहे नरेंद्र सिंह तोमर को स्पीकर बनाए जाने की घोषणा हुई है। इन सबके बीच कैलाश विजयवर्गीय के हाथ कुछ भी नहीं लगा है जिन्होंने कहा था कि वो राज्य की राजनीति में सिर्फ विधायक बनने थोड़े आये हैं , उन्हें मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में अपने को पेश करने की पूरी कोशिश की.
मोहन यादव के राजनीतिक सफर की बात करें तो 2013 में विधायक के रूप में उन्होंने पहला चुनाव लड़ा, उसके बाद 2018 का चुनाव जीतकर वो एकबार फिर विधायक बने, 2 जुलाई, 2020 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। अपने राजनीतिक प्रयासों के अलावा उन्हें एक व्यवसायी के रूप में भी जाना जाता है। 25 मार्च 1965 को मध्य प्रदेश के उज्जैन में जन्मे मोहन यादव कई सालों से बीजेपी से जुड़े हुए हैं। हाल के 2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में, मोहन यादव ने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार चेतन प्रेमनारायण यादव के खिलाफ 12 हज़ार 941 वोटों से जीत हासिल करते हुए उज्जैन दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र में अपनी सीट को बरकरार रखा।
विधायक के रूप में ये उनका लगातार तीसरा कार्यकाल है। इन सबके बीच शिवराज चौहान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे होंगे, जिसतरह अनदेखी के बाद भाजपा आलाकमान ने विधानसभा चुनाव में उन्हें आगे किया और चुनाव जीतने के लिए उनकी लोकप्रियता को भुनाया, मामा को भी लगने लगा था कि एकबार फिर उन्हें मुख्यमंत्री बनने का अवसर पीएम मोदी और अमित शाह ज़रूर देंगे लेकिन उम्मीदों के मुताबिक चुनाव में उनका इस्तेमाल करके उन्हें दूध की मक्खी की तरह निकाल दिला गया।