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शामी जैसा कोई नहीं

आर्टिकल/इंटरव्यूशामी जैसा कोई नहीं

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अमित बिश्‍नोई

कहाँ से शुरू करूँ! वानखेड़े में तो कल एक तूफ़ान आया और श्रीलंका टीम को उड़ा के ले गया. मैच की ख़ास बात क्या थी? अब एक ख़ास बात हो तो बताऊँ । ख़ास बात शुभमन, विराट और श्रेयस की पारियां थीं, ये अलग बात है कि तीनों बदकिस्मत रहे और सैकड़े नहीं लगा सके. ख़ास बात 302 रनों के अंतर की जीत रही, खास बात श्रीलंका को 30 ओवर पहले हराना रही, ख़ास बात एशिया कप के फाइनल वाले प्रदर्शन को दोहराना रही, ख़ास बात बुमराह और सिराज की आंधी रही, बड़ी ख़ास बात टीम इंडिया का इस वर्ल्ड के अंतिम चार में सबसे पहले जगह बनाना रही और सबसे ख़ास बात बुमराह-सिराज की आंधी को मोहम्मद शामी द्वारा तूफ़ान में बदलना रही. ऐसा तूफान जिसमें श्रीलंका की पूरी टीम तिनके की तरह उड़ गयी. शामी ने तीन मैच में दूसरी बार पंजा लगा दिया। इस विश्व कप में जहाँ गेंदबाज़ों की धुलाई हो रही है शामी पंजे पर पंजा लगा रहे हैं, तीन मैच और 14 विकेट। इस प्रदर्शन पर आप क्या कहेंगे। शायद यही कि शामी जैसा कोई नहीं।

सच में स्वप्निल प्रदर्शन ही इसे कहा जायेगा। सोचिये वो गेंदबाज़ जिसे नंबर आठ तक बल्लेबाज़ी की थेओरी की वजह से अंतिम 11 में जगह नहीं मिल पा रही थी, हार्दिक की चोट एक अवसर बनकर आयी और फिर जो हुआ वो सिर्फ कमाल ही जायेगा। कल्पना कीजिये अगर शामी ने सभी सातों मैच खेले होते तो विकटों की संख्या क्या होती? अगर हम पिछले पांच ODI की बात करें तो ये शामी का तीसरा पंजा है. विश्व कप से ठीक पहले उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली में भी पांच विकेट हासिल किये थे. न्यूज़ीलैण्ड के खिलाफ मैच जीतने के बाद पोस्ट मैच प्रेस कांफ्रेंस में जब एक पत्रकार ने उनसे सवाल किया कि ऐसा कैसे कर लेते हो आप. एक ही जगह पर गेंद करना और विकटें उड़ाना, ऐसा लगता है जैसे आपको कुछ और आता ही नहीं. शामी का जवाब भी उतना ही मज़ेदार था कि आता तो बहुत कुछ है मगर टीम की ज़रूरतें बहुत कुछ करने की इजाज़त नहीं देतीं।

दरअसल शामी की सक्सेस का राज़ भी डिसिप्लिन है, उन्हें लाइन से भटकते हुए बहुत कम देखा जाता है। भले ही वो बुमराह की तरह गेंद को स्विंग नहीं कराते लेकिन उनकी परफेक्ट सीम गेंदबाज़ी बल्लेबाज़ों के लिए कहर साबित होती है, हल्का सा अंदर बाहर मूवमेंट या तो बल्लेबाज़ों के डंडे उड़ाता है या फिर पीछे कैच निकलता है. आज हर कोई शामी का दीवाना लग रहा है, पूर्व महान क्रिकेटर उनके कसीदे पढ़ रहे हैं , उन्हें भारत का सबसे शानदार तेज़ गेंदबाज़ बता रहे हैं. बताएं भी क्यों न. शामी के आंकड़े उन्हें ऐसा कहने पर मजबूर कर रहे हैं. विश्व कप में सबसे ज़्यादा 45 विकेट लेने वाले वो भारतीय गेंदबाज़ बन चुके हैं , उन्होंने ज़हीर खान और जवागल श्रीनाथ जैसे तेज़ गेंदबाज़ों को पीछे छोड़ा है वो भी भारी अंतर से. शामी ने 45 विकेट का सफर सिर्फ 14 पारियों में पूरा किया जबकि ज़हीर खान ने इसके लिए 24 मैचों में गेंदबाज़ी की.

शामी जैसा गेंदबाज़ बाहर बैठने पर भी परेशान नहीं होता बल्कि साथियों और टीम की कामयाबी पर खुश होता है, शामी का कहना है कि दूसरों की कामयाबी का जश्न मनाओ, इससे आपका भी हौसला बढ़ेगा, आपमें कुंठा घर नहीं करेगी। अपनी कामयाबी का राज वो अच्छे रिदम और सही एरिया को बताते हैं। बकौल शामी वो हमेशा यही कोशिश करते हैं कि अच्छे रिदम के साथ राइट एरिया में गेंद पड़े क्योंकी विकेट हासिल करने के लिए ये बात सबसे ज़्यादा मैटर करती है, यही वजह है कि बल्लेबाज़ की हलकी सी गलती शामी को विकेट दिला देती है. विकटों की जहाँ तक बात है तो एक दिलचस्प आंकड़ा मैं आपको बता रहा हूँ , वो ये कि वर्ल्ड कप में शामी को अभी अपने पहले एलबीडब्ल्यू विकेट का इंतज़ार है, उनके 45 विकटों में एक LBW आउट नहीं है.

शामी आज जिस मुकाम पर हैं वो उन्हें इतनी आसानी से नहीं मिली है, उनकी गेंदबाज़ी में परफेक्शन काफी मेहनत और समय लगाने के बाद आया है. कोरोना काल में जब सारी दुनिया थमी हुई थी, क्रिकेट भी थमा हुआ था मगर शामी की प्रैक्टिस जारी थी. शामी ने अपने फॉर्म हाउस में कई पिचें बनवाई हुई हैं. पूरे कोरोना काल में शामी ने उन पिचों पर अपनी गेंदबाज़ी को निखारा। फिटनेस की समस्याओं से भी शामी को जूझना पड़ा, टीम से बाहर रहना पड़ा, सिराज की इंट्री भी इसी वजह से हुई जो बाद में उनके बाहर होने की वजह बनी, हालाँकि दोनों गेंदबाज़ों में काफी अच्छी बॉन्डिंग है. अपनी इस शानदार गेंदबाज़ी का क्रेडिट वो खुद लेने के बजाये अपने बोलिंग कोच पारस महाम्ब्रे को देते हैं जिन्होंने उनके बुरे दिनों में उनकी गेंदबाज़ी पर काफी मेहनत की. ये बात शामी के व्यक्तित्व को दर्शाती है कि वो कितने सौम्य हैं हालाँकि वो एक तेज़ गेंदबाज़ हैं.

शामी का काम अभी ख़त्म नहीं हुआ, उन्हें इस शानदार प्रदर्शन को अगले चार मैचों तक जारी रखना होगा, हमें उम्मीद है कि शामी का ये स्वप्निल सफर जारी रहेगा और टीम इंडिया एकबार फिर विश्व कप की ट्रॉफी उठाए हुए नज़र आएगी। फिलहाल शामी के शानदार प्रदर्शन पर उन्हें एक सैल्यूट तो बनता ही है.

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