आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने असहमति जताई है। उन्होंने कहा कि आरक्षण पर नई सूची बनाने से कई तरह की समस्याएं पैदा होंगी। बसपा प्रमुख ने कहा कि एससी-एसटी में उपजातियों को बांटना ठीक नहीं है वहीँ सुप्रीम कोर्ट को क्रीमी लेयर के लिए भी मानक तैयार करना चाहिए था।
मायावती ने कहा कि कोर्ट के फैसले से कहीं न कहीं आरक्षण खत्म करने की योजना है। बसपा प्रमुख ने सवाल किया है कि कोर्ट ने फैसले में क्रीमी लेयर का जिक्र तो किया है, लेकिन मानक के बारे में कोई जानकारी नहीं है। आरक्षण में classification का मतलब आरक्षण खत्म कर सामान्य वर्ग को देना होगा।
मायावती ने कहा कि बसपा सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं है और हम आरक्षण में किसी भी तरह के वर्गीकरण के खिलाफ हैं। एससी-एसटी आरक्षण व्यवस्था को लेकर संविधान में उचित संशोधन किया जाना चाहिए और इसे संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि न्यायालय के निर्णय के बाद आरक्षण को लेकर केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच मतभेद की स्थिति बनेगी। सरकारें मनचाही जातियों को आरक्षण देने का काम करेंगी, इससे असंतोष की भावना पैदा होगी क्योंकि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों ने एक समूह के रूप में अत्याचार झेले हैं और यह समूह एक ही है, इसलिए किसी भी तरह से कोटे के भीतर कोटा की व्यवस्था बनाना सही नहीं होगा।
बता दें कि एक अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक निर्णय में कहा कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, जो सामाजिक रूप से विषम वर्ग बनाते हैं, ताकि सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़ी जातियों के उत्थान के लिए आरक्षण दिया जा सके।