सितंबर महीने की शुरुआत इस बार कजली तीज से हो रही है और उसके बाद जन्माष्टमी जैसा बड़ा त्योहार है. सितंबर महीने में ही हरतालिका तीज है और महीने के अंत में पितृ पक्ष भी शुरू हो जाएगा। आइए जानते हैं सितंबर माह के सभी व्रत-त्योहार और उनका महत्व।
कजली तीज 2 सितम्बर
महीने की शुरुआत कजली तीज से होगी और इस साल कजली तीज 2 सितंबर को मनाई जाएगी. भाद्रमास के कृष्ण पक्ष की तृतीया 1 सितंबर की रात 11.50 बजे से शुरू होगी और 2 सितंबर की रात 8.49 बजे समाप्त होगी. यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। मान्यता के अनुसार सबसे पहले इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए किया था।
बहुला चतुर्थी 3 सितंबर
गणेश चतुर्थी व्रत हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 3 सितंबर को है. यह तिथि भगवान गणेश के जन्म से संबंधित है इसलिए इस दिन भगवान गणेश की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
जन्माष्टमी (स्मार्त) 6 सितंबर
कृष्ण जन्माष्टमी हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इसे जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। जो लोग गृहस्थ जीवन जीते हैं यानी स्मार्त वे लोग 6 सितंबर को जन्माष्टमी का त्योहार मनाएंगे। शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
जन्माष्टमी (वैष्णव) 7 सितम्बर
वैष्णव समुदाय हमेशा भगवान कृष्ण का प्राकट्योत्सव मनाता है। हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन भगवान कृष्ण को यशोदा की मां के घर उनके पति और पिता वासुदेव छोड़ गए थे।
वत्स द्वादशी 11 सितम्बर
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी को वत्स द्वादशी के रूप में मनाया जाता है। इस साल वत्स द्वादशी 11 सितंबर को है। इस दिन महिलाएं पुत्र की खुशी के लिए व्रत रखती हैं और अपनी संतान की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
कुशग्रहणी अमावस्या 14 सितम्बर
भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को कुशग्रहणी या पिठौरी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं भगवान शिव और मां दुर्गा की पूजा करती हैं। इस दिन पितरों की संतुष्टि के लिए पिंडदान आदि भी किया जाता है। पिठौरी अमावस्या की शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
हरतालिका तीज 18 सितंबर
सुहाग की लंबी उम्र के लिए किए जाने वाले व्रतों में हरतालिका तीज का विशेष महत्व बताया गया है। हरतालिका तीज भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं।
कलंक चतुर्थी 18 सितम्बर
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को चंद्रमा का दर्शन अशुभ माना जाता है। इस चतुर्थी तिथि को कलंक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह तिथि 18 सितंबर को है. इस दिन चंद्रमा के दर्शन करने से अपमान और झूठी बदनामी का दोष लगता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा के दर्शन करने के कारण भगवान श्रीकृष्ण को भी श्राप का सामना करना पड़ा था।
सिद्धि विनायक व्रत 19 सितंबर
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को सिद्धि विनायक व्रत रखा जाएगा। इस दिन देशभर में गणेश चतुर्थी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन दोपहर में गणेश जी का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को गणेशोत्सव या गणेश जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश को मोदक के लड्डू का भोग लगाना चाहिए और दूर्वा घास चढ़ानी चाहिए। साथ ही इस दिन गणेश जी को घर पर आमंत्रित किया जाएगा और मूर्ति की स्थापना की जाएगी।
ऋषि पंचमी व्रत 20 सितम्बर
ऋषि पंचमी हिंदू धर्म में सात ऋषियों को समर्पित है। यह व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन सप्तर्षियों की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन गंगा स्नान के साथ-साथ दान करने का भी विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से पापों से मुक्ति मिलती है। इस साल यह व्रत 20 सितंबर को है.
राधाष्टमी 23 सितम्बर
मान्यताओं के अनुसार राधाजी का जन्म भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के ठीक 15 दिन बाद हुआ था। बता दें कि भाद्रपद शुक्ल अष्टमी के दिन महालक्ष्मी व्रत भी रखा जाता है। इस व्रत को करने से धन-धान्य की कमी नहीं होती है। साथ ही महिलाएं अपने बच्चों और पति की लंबी उम्र के लिए भी यह व्रत रख सकती हैं।