अमित बिश्नोई
कांग्रेस नेता राहुल गाँधी भाजपा और मोदी की TRP हैं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह बात कहकर उन बातों को बल दिया है जिसमें कहा जा रहा है कि विपक्षी एकता के लिए कांग्रेस या राहुल के नेतृत्व वाले किसी भी फ्रंट के साथ चलना उन्हें स्वीकार नहीं। ममता के मुताबिक संसद में भाजपा जो माफ़ी माफ़ी का खेल कर रही है वो दरअसल भाजपा की एक राजनीतिक साज़िश है, वो नहीं चाहती कि बात मोदी बनाम राहुल के रास्ते से भटके क्योंकि उसे मालूम है कि इस रास्ते पर चलने से ही वो सत्ता में बनी रह सकती है. भाजपा नहीं चाहती कि कोई नया रास्ता निकले , कोई नया नाम उभरे, कोई नया दल या नेतृत्व सामने आये.
ममता का TRP वाला बयान बंगाल की शेरनी की उस पीड़ा को भी दर्शाता है जिसमें तमाम कोशिशों के बावजूद भी केंद्र में उनकी स्वीकार्यता को कोई स्वीकारने को तैयार नहीं। ममता बनर्जी ने जब बंगाल में भाजपा को बुरी तरह धूल चटाई उसके बाद से उनकी लगातार यही कोशिश रही कि केंद्रीय राजनीती में उन्हें उचित स्थान मिले। भाजपा के खिलाफ मोर्चा बनाना या थर्ड फ्रंट बनाने की उन्होंने कई बार कोशिश की, सभी विपक्षी दलों को कई बार एकसाथ लिया लेकिन हर बार उनके लिए राहुल गाँधी एक विलेन के रूप में सामने आ गए क्योंकि कोई भी इस बात को स्वीकार करने को तैयार ही नहीं था कि कांग्रेस के बिना कोई फ्रंट भाजपा का मुकाबला कर सकता है. हालात आज भी वैसे ही हैं, आज भी जब भाजपा के खिलाफ किसी मोर्चे की बात होती है तो फिर वो चाहे शरद पवार हों, उद्धव ठाकरे हों, नितीश कुमार हों या फिर तेजस्वी यादव, नेतृत्व के लिए कांग्रेस को ही आगे करते हैं.
ममता बनर्जी को यही बात सबसे ज़्यादा चुभती है, यह बात सही है कि पश्चिम बंगाल में भाजपा को रोकने में ममता अबतक पूरी तरह सफल सही हैं, वरना 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बंगाल में जो कामयाबी मिली थी उसे देखते हुए तो यही कहा जा रहा था कि बंगाल में भाजपा का कमल खिलने से कोई नहीं रोक सकता। मगर ममता ने न सिर्फ कमल को खिलने से रोका बल्कि अपनी ताकत को और बढ़ाया, हालाँकि प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पूरी भाजपा ने जिस शिद्दत से बंगाल का चुनाव लड़ा, शायद ऐसा चुनाव किसी भी राज्य में नहीं लड़ा होगा। यही वजह है कि ममता को लगता है कि भाजपा से लोहा लेने में वही सबसे ज़्यादा सक्षम हैं लेकिन लोग राहुल गाँधी के पीछे भाग रहे हैं.
ममता ने अपनी भड़ास निकालते हुए यह भी कहा कि जबतक राहुल गाँधी की दावेदारी बानी रहेगी, प्रधानमंत्री मोदी को कोई चुनौती नहीं मिलने वाली, यही वजह है कि भाजपा राहुल गाँधी को हीरो बनाने की कोशिश कर रही है, ताकि उसकी TRP बढ़ती रहे. ममता बनर्जी की पीड़ा अलग जगह है लेकिन उनकी इस बात में तो दम है कि राहुल गाँधी ने विदेश में जाकर क्या कहा उसके लिए देश की संसद को क्यों नहीं चलने दिया जा रहा है, राहुल गाँधी अगर उस बात पर संसद में अपनी बात रखना चाह रहे हैं तो उन्हें अपनी बात क्यों नहीं रखने दिया जा रहा है. क्यों सत्ता पक्ष संसद को नहीं चलने दे रहा है, क्यों राहुल गाँधी को हीरो बनाया जा रहा है, क्यों गतिरोध को ख़त्म नहीं किया जा रहा है. क्योंकि भाजपा की मंशा यही है कि राहुल गाँधी विपक्ष के नेता के रूप में उभरें और लोकसभा चुनाव की लड़ाई मोदी और राहुल के बीच ही हो ताकि उसे फायदा मिले जैसे कि अबतक मिलता आया है.
ममता की कांग्रेस से खुन्नस की एक बड़ी वजह सारगदिघी में उपचुनाव हारना भी है जहाँ कांग्रेस उम्मीदवार ने TMC को धुल चटाई। इस जीत को ममता बनर्जी अपने लिए एक खतरा मानकर चल रही हैं. वो कहती हैं कि मुस्लमान उनके साथ हैं, उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय के लिए बड़ा काम किया, ममता NRC की भी बात करती हैं. कोलकाता में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का आयोजन भी ये साबित करने के लिए ही था कि मुसलमानों में यह सन्देश जाय कि उनकी सोच मुस्लिम हितों की है, और ऐसी ही सोच रखने वाली पार्टियां भी उनके साथ हैं और आने वाले दिनों में वो इन पार्टियों के साथ केंद्र की राजनीति में भी बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। वहीँ भाजपा भी केंद्र की राजनीती के लिए किसी नए नेतृत्व को उबरने नहीं देना चाहती और इसलिए इन दिनों केंद्रीय एजेंसियां ऐसे लोगों पर काफी गंभीर नज़र आ रही है जो अपना सिर उठाने की हिम्मत कर रहे हैं. उसे अपना भला राहुल में ही दिखता है और ममता बनर्जी की यही पीड़ा है.