पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शनिवार को नीति आयोग की बैठक से बाहर निकल गईं और दावा किया कि उनका माइक म्यूट कर दिया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें सिर्फ़ पाँच मिनट बोलने की अनुमति दी गई जबकि अन्य मुख्यमंत्रियों को अपनी बात रखने के लिए 10-12 मिनट दिए गए। वैसे इस बात का अनुमान पहले से ही था कि ममता बनर्जी नीति आयोग की बैठक में शामिल ज़रूर होंगी मगर वो उसका बहिष्कार भी करेंगी। ममता ने भी कल इस बात का इशारा दिया था कि नीति आयोग की बैठक में अगर उनकी बात नहीं सुनी गयी और उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया तो वो अपना विरोध दर्ज कराएंगी।
बता दें कि विपक्ष के भारत ब्लॉक शासित राज्यों के कई मुख्यमंत्रियों ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की नौवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक का बहिष्कार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्रीय बजट के आवंटन में भेदभाव किया गया है। शिवसेना नेता संजय राउत ने इस फैसले की पुष्टि करते हुए कहा, “भारत गठबंधन के सीएम नीति आयोग की बैठक में नहीं जाएंगे। यह लगभग तय हो चुका है। तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने पहले कहा था कि वह नहीं जाएंगे, अरविंद केजरीवाल जेल में हैं, तेलंगाना के सीएम और ऐसे कई सीएम हैं जो नहीं जाना चाहते क्योंकि नीति आयोग देश के विकास के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहा है, आपने बजट और नीति आयोग के काम में यह देखा होगा।”
तमिलनाडु के सीएम और डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने एक वीडियो बयान में अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “मुझे प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में दिल्ली में आयोजित ‘नीति आयोग’ की बैठक में भाग लेना था। हालांकि, मैं केंद्रीय बजट 2024 में तमिलनाडु के प्रति भेदभावपूर्ण रवैये के कारण न्याय की मांग करते हुए, लोगों के मंच पर आपके सामने बोलने के लिए बाध्य हूं। डीएमके ने तमिलनाडु की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए 23 जुलाई को पेश किए गए केंद्रीय बजट के खिलाफ तमिलनाडु में राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन भी किया।