भारतवासी एकबार को जल का सेवन न करें लेकिन चाय बिना तो यहां दिन की शुरुआत ही नहीं होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो लोग एक ही दिन में दस-दस बार चाय पी जाते हैं, कुछ लोगों का दिमाग तो चाय पिए बिना काम ही नहीं करता है, चाय के सेवन से कई लोगो का सिर दर्द ठीक हो जाता है। कुलमिलाकर यदि कहें कि हिंदुस्तानी चाय के दीवाने होते हैं तो इसमें कोई दो राय नहीं है। वर्तमान में पूरे विश्व में चाय का सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाले देशों में भारत का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। पूरे विश्व में 70 प्रतिशत चाय सिर्फ भारतीय ही पीते हैं। चाय पीना जितना अच्छा लगता है, उतना ही अच्छा चाय के बागानों में टहलना भी लगता है। आप चाय के बागानों से ताजा चाय लेकर आ सकते हैं।
दार्जिलिंग

दार्जिलिंग दुनिया में सबसे बेहतरीन चाय बनाने के लिए जाना जाता है। यहां की चाय में अनोखा स्वाद और सुगंध होती है। दार्जिलिंग में वर्तमान में 87 चाय के बागान हैं, जो करीबन 19,000 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैले हैं। इसमें लगभग 52,000 दैनिक श्रमिक कार्यरत हैं। मार्च से नवंबर तक यहां अतिरिक्त 15,000 प्लकर प्लांटेशन में लगाए जाते हैं। चाय के दिवाने यहां सिर्फ चाय पीने के लिए आते हैं।
पालमपुर

पालमपुर उत्तर पश्चिमी भारत की चाय राजधानी के रूप में जाना जाता है। कई एकड़ भूमि में फैले हुए ये चाय के बागान इस क्षेत्र के अनेक स्थानीय लोगों की जीविका का साधन हैं इसलिए इसे चाय राजधानी कहा जाता है। पालमपुर की यात्रा करने वाले पर्यटकों के लिये चाय के बागान प्रमुख आकर्षण हैं।
मुन्नार

मुन्नार में दुनिया के सबसे ऊंचे चाय के बागान मौजूद हैं, जो हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यहां चाय की अलग-अलग वैरायटी भी मिलती है। साथ ही महंगी से महंगी चाय भी यहां उपलब्ध होती है। अगर आप मुन्नार जा रहे हैं तो यकीन मानिए यहां पर आपको चाय पीने के साथ−साथ चाय के बागानों में घूमकर एक अलग ही अनुभव प्राप्त होगा। यहां के बागानों में टहलने पर बहुत सुकून मिलता है।
असम

असम को देश का सबसे बड़ा चाय उत्पादक क्षेत्र माना जाता है। असम में हर खेत में चाय के पौधे उगाये जाते हैं। यहां आने वाले पर्यटकों में चाय को लेकर इतना उत्साह रहता है कि प्रतिवर्ष असम के जोरहाट में हर साल एक चाय महोत्सव का आयोजन होता है जिसमें तरह-तरह के आयोजन होते हैं।