अंडमान का एक द्वीप है रॉस आइलैंड, जो कि अब नेताजी सुभाषचंद्र बोस के नाम से भी जाना जाता है। फिलहाल तो इस आइलेंड पर कब्रिस्तान के खंडहर, चर्च, बॉलरूम आदि हैं।
कहा जाता है कि भारत की आजादी के पहले संग्राम के बाद ब्रिटिश साम्राज्यों ने बागियों को अंडमान के द्वीपों पर बंदी बनाकर रखा था। यह सारे द्वीप घने जंगलों से घिरे हुए थे। मात्र 0.3 किलोमीटर में बसे रॉस आइलेंड पर सभी बंदियों को रखा गया था। इस दौरान ब्रिटिश अधिकारी इस आइलैंड पर न रहते हुए जहाज में ही रहा करते थे।

एक समय ऐसा भी आया जब ब्रिटिश सरकार ने इस आइलैंड को अंडमान का प्रशासनिक मुख्यालय बना दिया। बीमारियों से बचने के लिए अंग्रेजों ने एक से बढ़कर एक खूबसूरत इमारतें बनवाईं, जिसमें उनके परिवार रहने लगे। यहां एक चर्च, टेनिस कोर्ट, सैना के बैरक और एक अस्पताल भी बनवाया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुभाषचंद्र बोस के तिरंगा फहराने की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर रॉस आइलैंड का नाम बदलकर सुभाषचंद्र आइलैंड कर दिया गया। इसी के साथ नील आइलैंड और हैवलॉक आइलैंड का नाम बदलकर शहीद द्वीप और और स्वराज द्वीप रख दिया गया।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस आइलैंड कोई जानता ही नहीं है क्योंकि अब यह एक बहुत ही सुनसान आइलैंड है। खंडहरों के सिवा यहां कुछ है ही नहीं।