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सावन में मिलती है ये अनोखी मिठाई , देश से लेकर विदेश तक में है मांग

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भारत में त्योहारों का मतलब पकवान से होता है, पकवानों के बिना त्योहार अधूरे माने जाते हैं। हर त्यौहार का अपना एक खास व्यंजन होता है। सावन की बात हो और घेवर का नाम न हो तो कुछ अधूरा सा लगता है। सावन में इस मिठाई का विशेष महत्व होता है, वैसे तो यह मिठाई मानसून आते ही हर जगह मिलने लगती है, लेकिन क्या आपको पता है कि बागपत जिले के अमीनगर सराय में बनने वाले इस घेवर की अपनी एक खास पहचान है.

घेवर क्या है?

घेवर एक प्रसिद्ध व्यंजन है जो छप्पन भोग के अंतर्गत आता है। यह मैदे से बनी एक कुरकुरी और मीठी मिठाई है जो मधुमक्खी के छत्ते की तरह दिखती है। इसे सावन की खास मिठाई माना जाता है.

इस दुकान पर 1974 से घेवर बनाया जा रहा है

दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड से लोग खासतौर पर यहां मिठाई खरीदने, अमीनगर सराय के जियालाल यानी अग्रवाल स्वीट्स के स्वादिष्ट घेवर का स्वाद चखने और अपनों को सेहतमंद मिठाई खिलाने आते हैं। 1974 से इस दुकान पर घेवर बनाया जा रहा है, हालांकि दुकान इससे भी कहीं ज्यादा पुरानी बताई जाती है।वैसे तो घेवर यहां की हर दुकान पर ही मिलता है, लेकिन जियालाल की मशहूर दुकान पर इसे अलग तरह से बनाया जाता है. पहले यहां थोड़े प्रकार के घेवर बनाए जाते थे लेकिन अब यहां कई तरह के घेवर बनाए जाते हैं.

पिता की इच्छा पूरी करने के लिए बिजनेस शुरू किया

दुकान पहले जिया अग्रवाल चलाते थे . दुकान की शुरुआत 1968 में हुई थी, जब बिना खोया के घेवर बनाया जाता था, लेकिन कुछ साल बाद खोया घेवर बनाना शुरू कर दिया गया। ईश्वर दयाल अग्रवाल जियालाल के चार बेटों में सबसे छोटे हैं। पहले दुकान का कारोबार बेटे ही संभालते थे, लेकिन पिता की इच्छा पूरी करने और कस्बे का नाम देश-विदेश में रोशन करने के लिए अन्य तीन बेटों की तुलना में ईश्वर दयाल अग्रवाल ने दुकान का कारोबार संभाला, और घेवर का नाम देश में ही नही विदेश तक में रोशन कर दिया

गुणवत्ता का रखा जाता है खास ख्याल

व्यापारी ईश्वर दयाल अग्रवाल बताते हैं कि प्रतिदिन हजारों किलो घेवर आसानी से बिक जाता है। साल 2000 में इस घेवर की कीमत ₹50 किलो थी, अब इसकी कीमत ₹360 किलो है. यह दुकान अमीरनगर सराय कस्बे के मुख्य बाजार में है। यहाँ और भी कई सारी मिठाइयाँ बनाई जाती हैं, वे गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखते हैं और लोगों की पसंद के अनुसार घेवर तैयार करते हैं।

सावन में घेवर की मांग बढ़ जाती है

त्योहारी सीजन खासकर सावन के महीने में यहां घेवर की मांग काफी बढ़ जाती है. इसका मुख्य कारण यह है कि एनसीआर क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय लोगों के रिश्तेदार यहां से घेवर मंगवाते हैं। इसके अलावा सावन के महीने में तीज और रक्षाबंधन में भी लोग घेवर ले जाना और खाना पसंद करते है । शादी के बाद मिठाई के रूप लोग घेवर को भेजना पसंद करते है . सिंदारा में बहन-बेटियों को घेवर भी दिया जाता है। रक्षाबंधन के मौके पर घेवर की दुकानों पर तीस गुना अधिक भीड़ देखने को मिलती है.

चॉकलेट फ्लेवर से लेकर विभिन्न प्रकार के घेवर

घेवर अब अलग-अलग फ्लेवर में उपलब्ध है, जिसमें प्लेन क्रीम घेवर के साथ चॉकलेट वाला घेवर भी है , वहीं बादाम, पिस्ता, केसर, गुलाब जैसी कई तरह के घेवर भी यहा तैयार किये जाते हैं, लेकिन लोगो को सबसे ज्यादा पसंद क्रीम घेवर ही आता है। आपको बता दे कि मलाई घेवर की लाइफ सिर्फ 2 दिन तक ही होती है .

घेवर की किस्में और उनकी कीमत

सादा घेवर आपको 380 रुपये से 500 रुपये किलो तक मिल जायेगा

मलाई घेवर आपको 500 से 900 रुपये किलो तक मिल जायेगा

शुगर फ्री घेवर आपको 600 रुपये से 1000 रुपये तक मिल जायेगा

चॉकलेट घेवर आपको 700 से 900 रुपये तक मिल जायेगा

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