भाजपा का अपर्णा दांव कितना कारगर?

उत्तराखंडभाजपा का अपर्णा दांव कितना कारगर?

Date:


भाजपा का अपर्णा दांव कितना कारगर?

अमित बिश्‍नोई

मशहूर शायर मिर्ज़ा जवाँ बख़्त जहाँदार के शेर की एक लाइन है “पहुंची वहीँ पे ख़ाक जहाँ का खमीर था”. तो पिछले कई सालों से उड़ रही यह ख़ाक आज उस जगह पहुँच गयी जहाँ उसे पहुंचना था. जी हां! बात अपर्णा यादव की हो रही है जिन्हें सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू और अखिलेश यादव की सिस्टर इन लॉ के रूप में प्रचारित किया जा रहा है हालाँकि अपर्णा बिष्ट (यादव) के पति के पिता चंद्रप्रकाश गुप्ता हैं और माँ साधना हैं जो बाद में मुलायम सिंह की दूसरी पत्नी बनी।

खैर बात यहाँ अपर्णा बिष्ट की हो रही है जो आज औपचारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुई हैं हालाँकि दिल से वह पहले से मोदी जी, योगी जी और भाजपा से नैतिक रूप से जुड़ी हुई थी. आज जब दिल्ली में उन्होंने बाकायदा भाजपा ज्वाइन की तो कुछ बातें ऐसी कहीं जिन्हें समाजवादी पार्टी पर बहुत बड़े आरोपों के रूप में देखा जा सकता है. अपर्णा बिष्ट ने कहा कि वह हमेशा राष्ट्र धर्म के साथ रही हैं इसलिए भाजपा में आयी हैं, तो सवाल उठता है कि क्या समाजवादी पार्टी राष्ट्रधर्म का पालन नहीं कर रही है. अखिलेश की तथाकथित सिस्टर इन लॉ जब सपा के टिकट पर लखनऊ के कैंट क्षेत्र से चुनाव लड़ी तब क्या उन्हें राष्ट्र धर्म का ज्ञान नहीं था।

Read Also : बसपा को दस दलों के समर्थन पर सपा-बसपा ने साधा निशाना

अपर्णा बिष्ट कहती हैं कि अब वह राष्ट्र की आराधना करने निकली हैं. अब इस आराधना के बहुत से मतलब निकाले जा सकते हैं. इस आराधना के सहारे क्या वह उस राजनैतिक मक़ाम या मकसद हासिल करना चाहती है जो यादव परिवार की असली बहू डिंपल को हासिल है. क्या भाजपा को औपचारिक रूप से अपनाना सालों से दिल में चुभ रही उसी टीस का नतीजा है।

अपर्णा बिष्ट के भाजपा में जाने की चर्चा तो पहले भी कई बार उठती रही है, पिछले दो दिनों से यह बात सियासी गलियारों में फैल चुकी थी कि सपा की बढ़ती लोकप्रियता से परेशान भाजपा जल्द ही अपने मास्टरस्ट्रोक से साइकिल की हवा निकालने वाली है. आज मूर्त रूप में वह मास्टर स्ट्रोक सामने आ गया. मगर सवाल यही है कि क्या यह वाकई मास्टर स्ट्रोक है? जो इंसान पिछले कई सालों से मन से किसी के साथ था आज वह तन और मन दोनों से साथ आ गया, इसमें मास्टरस्ट्रोक जैसी क्या बात हुई?

Read Also : पूर्वांचल पर क्यों है सभी दलों की नजर, गोरखपुर से योगी के ऐलान के बाद अब अखिलेश आजमगढ़ से लड़ेंगे!

वैसे भाजपा इस तरह का दांव 2017 में पहले ही खेल चुकी है, परिवार में फूट डालने का! लेकिन एक ही दांव हर बार कामयाब हो जाए ऐसा होता बहुत कम है. दूसरे चाचा शिवपाल यादव की एक राजनीतिक हैसियत थी, वह सच में यादव परिवार का अभिन्न हिस्सा थे, उनका मुलायम और अखिलेश से खून का रिश्ता था. अपर्णा बिष्ट की शिवपाल से बराबरी हरगिज़ नहीं की जा सकती। सबसे बढ़कर यह बात कि अखिलेश यादव पहलवान मुलायम सिंह के असली बेटे हैं इसलिए उन्हें भी काफी दांव पेंच मालूम होंगे। दांव लगाना भी और दांव से बचना भी. दूध का जला छाछ भी फूंक फूँककर पीता है, तो अखिलेश ने भी इस बार भाजपा के इस दांव के काट की तैयारी ज़रूर की होगी।

अपर्णा बिष्ट का भाजपा में जाना कोई हैरानी वाली बात नहीं, अपर्णा बिष्ट के परिवार का भाजपा और योगी सरकार से करीबी रिश्ता रहा है, पिताश्री अरविन्द बिष्ट योगी सरकार में सूचना आयोग के कमिश्नर रहे हैं। अजय मोहन बिष्ट यानी योगी आदित्यनाथ के काफी करीबी रहे हैं, एक ही राज्य से आते हैं, अब यह तो सभी जानते हैं कि देश की राजनीति में जातिवाद का भी अपना महत्त्व है।

फिलहाल यूपी की चुनावी चौसर पर एक से बढ़कर पांसे फेंके जा रहे हैं. हवा भले ही सपा की तरफ बहती दिख रही हो पर भाजपा भी उस हवा का रुख मोड़ने के लिए जी जान से जुटी हुई है. चुनाव का नतीजा क्या आएगा, इसपर राजनीतिक पंडित भविष्यवाणी करने से कतरा रहे हैं. बहरहाल भाजपा ने अपर्णा दांव खेल दिया है, अब देखना है कि अखिलेश इस दांव की काट कैसे करेंगे?

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

स्पीकर ओम बिरला के खिलाफ आ सकता है अविश्वास प्रस्ताव

मानहानि के मामले में सूरत कोर्ट द्वारा राहुल गाँधी...

Kuno National Park: नामीबिया से आई मादा चीता सियाया ने दिया चार शावकों को जन्म

नई दिल्ली। एमपी के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क...

हाईकोर्ट पहुंचे नवाजुद्दीन सिद्दीकी, भाई ने ट्विटर पर खोला मोर्चा, चर्चा में ये मामला

मुजफ्फरनगर। फिल्म अभिनेता नवाजुद्दीन और उनके भाइयों के बीच...