हरिद्वार- जंगली जानवरों के दीदार के दुनिया भर में प्रसिद्ध राजा जी टाइगर रिजर्व पार्क आज हाथियों के संरक्षण के लिए भी जाना जाता है. लेकिन क्या आप जानते है कि इसी पार्क की एक हथनी मरने के डेढ़ दशक बाद भी जिन्दा है. अरुंधति नाम की यह हथनी आज भी पार्क के कर्मचारी और यंहा आने वाले पर्यटकों के बीच अपने स्वभाव और अपने महावत जुहूर के साथ लगाव के जानी जाती है. आज अरुंधति पार्क में स्मारक के रूप में मौजूद है.
जंगली जानवर का मानव प्रेम की मिसाल “अरुंधति”
पार्क की सबसे लाडली हथनी अरुंधति और उसके महावत जुहूर अहमद आत्मीयता को हर कोई जानता था. अपने शांत स्वभाव के लिए अरुंधति पार्क में ही नहीं यँहा आने पर्यटकों की पहली पसंद थी. अरुंधति के पार्क आने से लेकर उसके दुनिया से जाने तक एक ही साथी था जुहूर अहमद, इन दोनों का रिश्ता हाथी और महावत से कंही बढ़कर था.
प्यार-मोहब्बत की अनोखी मिसाल “अरुंधति”
आज अरुंधति इस दुनिया में नहीं है लेकिन वो आज भी चीला रेंज में एक स्मारक के रूप में वही मौजूद है. बात 1981 की है जब अरुंधति को पीलीभीत से राजा जी नेशनल पार्क लाया गया था. सबसे पहले उसे शिवालिक वन प्रभाग में रखा गया. लेकिन कुछ समय बाद अरुंधति को चीला रेंज में लाया गया. अरुंधति शांत स्वभाव और इंसानो से लगाव वाली थी. जुहूर के साथ उसकी आत्मीयता जगजाहिर थी. पार्क में पर्यटकों को जंगल सफारी कराने वाली अरुंधति से आने वाले पर्यटक भी खासे प्रभावित होते थे.
अरुंधति को मारा गया
जंगल सफारी के दौरान घायल हुई अरुंधति की मौत खासी चर्चा का विषय बनी रही. दरअसल पैर पर लगी चोट ने अरंधति को जमीन पर बैठा दिया. जिसके बाद उसके सही होने पर सवाल खड़े किये जाने लगे. जिसमे अरुंधति को मर्सी डेथ दिए जाने की बात की जाने लगी. करीब एक हफ्ते तक चले इस हाईवोल्टेज घटनाक्रम में वन्य जीव प्रेमी संस्थाओं ने भी खूब हल्ला किया. लेकिन मिडिया सुर्ख़ियों के बीच एक रात अरुंधति को मर्सी किलिंग कर अरुंधति को दर्द और दुनिया से दूर किया गया.