देहरादून। नामीबिया से भारत लाए चीतों का नए परिवेश और यहाँ के खानपान को लेकर इम्तहान होगा। यहां की भोजन बिल्कुल अलग है। हालांकि काले भैंसे और नील गाय दोनों जगह ही मिलते हैं। लेकिन यहाँ भोजन में चीतल प्रजाति के जानवरों की संख्या अधिक है। जबकि वहां ये जानवर बिल्कुल नहीं पाए जाते। चीतों को भारत लाने के सर्वेक्षण के दौरान टीम में शामिल रहे भारतीय वन्य जीव संस्थान के तत्कालीन निदेशक और वर्तमान में वन विकास निगम के एमडी डॉ. धनंजय मोहन ने जानकारी दी कि नामीबिया के चीते किन जानवरों की तरफ अधिक आकर्षित होते हैं, इसका पता उस दौरान चलेगा, जब इन चीतों को क्वारंटीन अवधि पूरी करने के बाद खुले में छोड़ा जाएगा।
उनका कहना है कि नामीबिया से लाए चीते कुछ समय बाद यहां के वातावरण में अपने को ढाल लेंगे। बेशक नया परिवेश और नया खानपान चीतों का इम्तहान लेगा। डॉ. धनंजय मोहन ने जानकारी दी कि किसी वन्य जीव प्रजाति विशेष का एक देश से दूसरे के वातावरण में लाया जाना नई बात नहीं है, लेकिन, ऐसी प्रोजेक्ट की सफलता का आकलन निश्चित समयावधि के बाद ही किया जा सकता है। बताते चलें कि नामीबिया से भारत लाए गए आठ चीतों के मप्र के कूनो नेशनल पार्क पहुंचने में उत्तराखंड स्थित भारतीय वन्य जीव संस्थान (डब्लूआईआई) का अहम योगदान है। संस्थान के वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के बाद जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने चीतों को लाने के प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी थी।