निवेश की एक टर्मिनोलॉजी होती है और इसमें दो शब्द बहुत प्रचलित हैं, फिक्स्ड डिपोसिट और टर्म डिपाजिट, अक्सर लोग इनको लेकर भ्रम की स्थिति में रहते हैं तो चलिए हम इस कन्फ्यूजन को थोड़ा दूर करने की कोशिश करते हैं.
सावधि जमा योजना या जिसे आम तौर लोग फिक्स्ड डिपॉजिट कहते हैं एक सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है, फिक्स्ड डिपाजिट आप बैंकों में कर सकते है, इसके अलावा सरकारी डाकघरों में भी कर सकते हैं, किसान विकास पत्र फिक्स्ड डिपाजिट का ही एक रूप है जो ग्रामीण इलाकों में ज़्यादा प्रचलित है. अगर आपके पास अतिरिक्त रूप से कुछ ऐसी पूंजी है जिसे आप कुछ समय के लिए निवेश करना चाहते हैं तो आप बैंक में जाकर सावधि योजना को अपना सकते हैं। ये अलग अलग अवधि की होती है और इसमें अवधि के हिसाब से ब्याज दर भी अलग अलग होती है. अगर आपको एक निश्चित समय के लिए किसी खर्च की ज़रुरत नहीं है तो आप उस पैसे को फिक्स्ड डिपाजिट में लगाकर एक निश्चित मुनाफा कमा सकते हैं। फिक्स्ड डिपाजिट गाँव की अपेक्षा शहरों में ज़्यादा प्रचलित है.
वहीँ टर्म डिपॉजिट एक निश्चित समय के लिए किए जाने वाला निवेश है। टर्म डिपॉजिट के लिए मैच्योरिटी पीरियड महीनों से शुरू होकर पांच साल की अवधि का होता है। टर्म डिपॉजिट को बैंक, पोस्ट ऑफिस और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (NBFCs) ऑफर करती हैं। टर्म डिपॉजिट में मिनिमम डिपॉजिट को पूरा किया जाना जरूरी है, जिसके बाद निवेशक फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट्स के साथ गारंटी रिटर्न पा सकते हैं। सुकन्या समृद्धि योजना, पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट टर्म डिपॉजिट का उदाहरण हैं।
फिक्स्ड डिपॉजिट और टर्म डिपॉजिट एक अंतर लॉक-इन पीरियड को लेकर देखा जाता है। टर्म डिपॉजिट का लॉक-इन पीरियड फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले छोटा यानी कम समय का होता है। टर्म डिपॉजिट के साथ निवेशक को नॉन-क्मलेटिव पेआउट ऑप्शन (non-cumulative payout) मिलता है। इस ऑप्शन के साथ निवेशक मासिक, त्रैमासिक, छमाही और वार्षिक समयावधि पर पेआउट पा सकता है। फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेशक मूल राशि का 90 प्रतिशत लोन पा सकता है। वहीं, दूसरी ओर टर्म डिपॉजिट के साथ मूल राशि के 60-75% भाग लोन के रूप में पा सकता है।