depo 25 bonus 25 to 5x Daftar SBOBET

Kerala High Court: लिव इन रिलेशनशिप के तलाक मामले में केरल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, जाने पूरा मामला

नेशनलKerala High Court: लिव इन रिलेशनशिप के तलाक मामले में केरल हाईकोर्ट...

Date:

Kerala High Court: लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के तलाक मामले में केरल हाईकोर्ट ने आज बडा फैसला दिया है। इस फैसले के मुताबिक लिव इन रिलेशन में रहने वाले जोड़े तलाक मांगने के हकदार नहीं है।

केरल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा सामाजिक संस्था के रुप में विवाह सामाजिक और नैतिक आदर्शों को दर्शाता है। जहां इनका पालन किया जाता है। कानून में इसकी पुष्टी की गई है। इसको कानून में मान्यता दी गई है। वर्तमान में कानूनी रूप से लिव-इन रिलेशनशिप को विवाह का दर्जा नहीं दिया है।

आज एक मामले में केरल हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को लेकर अहम टिप्पणी की। जिसमें केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि लिव इन रिलेशन संबंधों को शादी के रूप में मान्यता नहीं दी जा सकती है। इस तरह का कोई कानून अभी देश में नहीं बनाया गया है, जो लिव इन रिलेशनशिप को विवाह के रूप में मान्यता देता है। केरल हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि अगर दो लोग आपसी समझौते के आधार पर एक साथ रहते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि वे विवाह अधिनियम के दायरे में हैं।

केरल हाईकोर्ट के जस्टिस मुहम्मद मुश्ताक और जस्टिस सोफी थॉमस की खंडपीठ ने कहा कि ऐसे जोड़ों का साथ रहना विवाह होना नहीं माना जा सकता है। खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में तलाक की मांग नहीं की जा सकती है।
केरल हाईकोर्ट खंडपीठ ने अपने फैसले में आगे कहा कि सामाजिक संस्था के रुप में विवाह एक सामाजिक और नैतिक आदर्शों को दर्शाता है। जहां सामाजिक रूप से इनका पालन किया जाता है। कानून में इसे मान्य किया गया है। वर्तमान में लिव-इन रिलेशनशिप को विवाह का दर्जा नहीं दिया है। कानून केवल इसकी तभी मान्यता देता है जब विवाह को व्यक्तिगत कानून के अनुसार या विवाह अधिनियम जैसे धर्मनिरपेक्ष कानून के अनुसार संपन्न किया गया है।

इस मामले में केरल हाईकोर्ट ने दिया फैसला

केरल हाई कोर्ट ने यह फैसला लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले एक जोड़े की याचिका पर दिया। याचिकाकर्ता कपल में एक हिंदू और दूसरा ईसाई है। दोनों ने 2006 में पति-पत्नी के रूप में साथ में रहने का फैसला किया था। रिश्ते में साथ रहने के दौरान दोनों का एक बच्चा हुआ। अब दोनों रिश्ते को खत्म करना चाहते हैं।

इस मामले में दोनों ने फैमिली कोर्ट में वाद दायर किया था। फैमिली कोर्ट से उन्हें निराशा हाथ लगी। फैमिली कोर्ट ने तलाक देने से इनकार कर दिया। अदालत ने तर्क दिया कि उनका विवाह किसी अधिनियम के तहत नहीं है। ऐसे में वे तलाक की मांग नहीं कर सकते। इसके बाद दोनों ने केरल हाईकोर्ट गए। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट की अदालत ने कहा कि तलाक कानूनी शादी को तोड़ने का एक जरिया है। लिव इन रिलेशनशिप में रहने वालों को इस तरह की कोई मान्यता नहीं दी जा सकती।

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

दुनिया से विदा हुआ देश का अनमोल ‘रतन’

पूरे राजकीय सम्मान के साथ मुंबई के वर्ली श्मशान...

दिन भर उतार चढ़ाव के बाद गिरावट में बंद हुआ बाजार

सीमित दायरे में कारोबार करते हुए 11 अक्टूबर को...