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संपत्ति की रजिस्ट्री के समय रखें इन बातों का ख्याल, हो सकती मोटी बचत

Keep these things in mind at the time of property registration, you can save huge money

मकान या ज़मीन की रजिस्ट्री कराना कोई आसान काम नहीं, इसमें बड़ी बारीकियां होती हैं जो आम भाषा की नहीं होती और इस भाषा को हर कोई समझ भी नहीं सकता तभी लोग अपने वकील को सपत्ति की रजिस्ट्री के समय साथ में रखते हैं. ये तो आपको मालूम ही होगा कि किसी भी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराने के लिए एक चार्ज देना होता जो प्रॉपर्टी की कीमत का सात फ़ीसदी तक हो सकता है इसके अलावा कोर्ट फीस भी लगती है, यहाँ मैं बताने जा रहा हूँ कि अगर आप 50 लाख रूपये की संपत्ति को खरीद रहे हैं तो कुछ ऐसे उपाय हैं जिन्हें अपनाकर आप पांच लाख तक की बचत कर सकते हैं, चूँकि रजिस्ट्री में काफी बड़ी रकम खर्च होती है इसलिए ये बचत आपके बहुत काम आ सकती है.

बता दें कि कई बार किसी प्रॉपर्टी का बाजार मूल्य उस एरिया के सर्कल रेट से भी कम होता है। ऊंचे सर्किल रेट पर स्टांप ड्यूटी अधिक लगती है जबकि बाजार मूल्य पर स्टांप ड्यूटी कम होती है। ऐसी स्थिति में आप स्टाम्प ड्यूटी बचाने के लिए रजिस्ट्रार या सब रजिस्ट्रार से बाजार मूल्य पर स्टाम्प ड्यूटी के लिए अपील कर सकते हैं। ये अपील राज्य स्टाम्प अधिनियम के तहत आती है। अगर बाजार मूल्य पर स्टांप शुल्क लेने के लिए रजिस्ट्रार के पास अपील की जाती है तो प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री होने तक सेल डीड पेंडिंग रहेगी। रजिस्ट्रार या सब रजिस्ट्रार आपकी अपील को डीसी के पास भेजता है जो बाजार मूल्य के अनुसार स्टांप फीस का आकलन करता है, इस तरह स्टांप ड्यूटी में बचत से आपको फायदा हो सकता है।

इसी तरह अविभाजित भूमि रजिस्ट्री की सुविधा भविष्य की निर्माण परियोजनाओं में उपलब्ध है जहां पर बायर बिल्डर के साथ दो समझौते करता है, बिक्री और निर्माण समझौता। बिक्री समझौता संपत्ति के अविभाजित हिस्से के लिए होता है जिसमें ज़मीन की कीमत और उस पर निर्माण की लागत शामिल होती है। अविभाजित भूमि को खरीदना सस्ता होता है क्योंकि निर्मित क्षेत्र के लिए कोई रजिस्ट्रेशन फीस नहीं है।

इसके अलावा यूपी समेत कई राज्यों में महिला खरीदारों को संयुक्त या एकल खरीदारी करने पर छूट मिलती है। इस छूट के तहत महिलाओं के नाम पर संपत्ति खरीदने पर कम पंजीकरण शुल्क देना होगा। इस तरह से पैसे को बचाया जा सकता है. चूँकि जमीन राज्य का विषय होता है इसलिए रजिस्ट्री से होने वाली आय भी राज्य की होती है। हर राज्य का कानून दूसरे राज्य से अलग हो सकता है इसलिए संपत्ति के रजिस्ट्रेशन से पहले उस राज्य का स्टांप एक्ट जरूर जान लें. कई बार राज्य सरकार एक सीमित समय के लिए रजिस्ट्रेशन फीस में छूट भी देती है तो बेहतर है इस अवसर का फायदा उठायें।

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