भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता से जुड़ा करवा चौथ का त्यौहार एक महत्वपूर्ण आर्थिक आयोजन बन गया है, जिसमें देशभर के बाजारों में लगभग 22,000 करोड़ रुपये का कारोबार होने का अनुमान है। यह पारंपरिक त्यौहार आज पूरे भारत में मनाया जाएगा, जिसमें पत्नियां अपने जीवनसाथी की भलाई और दीर्घायु के लिए उपवास रखती हैं।
इस साल खर्च पिछले साल के 15,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार करने की उम्मीद है, जो उत्साह और उपभोक्ता गतिविधि में वृद्धि को दर्शाता है। पिछले सप्ताह से, देश भर के बाजारों में चहल-पहल का माहौल देखने को मिल रहा है, जिसमें इस अवसर की तैयारी के लिए कपड़े, गहने, सौंदर्य प्रसाधन, उपहार की वस्तुएं और पूजा की आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी करने वालों की भीड़ उमड़ रही है।
दिल्ली, जो त्योहारों के लिए केंद्रीय केंद्रों में से एक है, इस आर्थिक उछाल में महत्वपूर्ण योगदान देने की उम्मीद है, जिसकी बिक्री लगभग 4,000 करोड़ रुपये तक पहुँचने का अनुमान है। खरीदारी की होड़ करवा चौथ से जुड़ी विभिन्न वस्तुओं पर केंद्रित है, जिसमें आभूषण, पारंपरिक कपड़े, श्रृंगार उत्पाद, साड़ियाँ और करवा बर्तन, छलनी, दीपक, बाती और प्रार्थना पुस्तकें जैसी धार्मिक वस्तुएँ शामिल हैं।
इसके अलावा, लाल कांच की चूड़ियाँ, पायल, पैर की अंगूठियाँ, लॉकेट और जटिल रूप से डिज़ाइन की गई करवा थाली लोकप्रिय वस्तुओं में से हैं जिन्हें खरीदा जा रहा है। चांदी के करवा भी इस साल बाजार में उतारे गए हैं जिनकी माँग बहुत अधिक होने की उम्मीद है।
मेंहदी लगाने के चलन में भी उछाल देखा गया है, बड़े शहरों के मुख्य बाजार में और मंदिरों के आसपास महिलाएं बड़ी संख्या में आपको मेंहदी लगाते हुए देखि जा सकती हैं। करवा चौथ न केवल खुदरा गतिविधि को बढ़ावा देता है, बल्कि आगामी शादी के मौसम के लिए भी मंच तैयार करता है, जिसमें कई खरीदार सोने के आभूषणों के लिए ऑर्डर देते हैं।