केंद्र और मणिपुर में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी रही जनतादल यूनाइटेड ने भाजपा को एक बड़ा झटका देते हुए मणिपुर की बिरेन सिंह नेगी सरकार से अपना अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया है. हालाँकि जेडीयू के इस फैसले से मणिपुर सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा लेकिन इस राजनीतिक मायने बहुत बड़े माने जा रहे हैं और वो इसलिए कि इसी साल बिहार विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और वहां भी केंद्र की तरह भाजपा और जेडीयू साथ में हैं, हालाँकि बिहार की राजनीती को लेकर बहुत सी ऐसी चर्चाएं पहले से ही चल रही थीं जिनकी मणिपुर में समर्थन वापसी के फैसले से जड़कर देखा जा सकता है.
बता दें कि जेडीयू 2022 से राज्य में एनडीए का हिस्सा थी, दो साल बाद जेडीयू ने सत्तारूढ़ सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। जानकारी के मुताबिक, राज्य में जेडीयू के पास सिर्फ एक विधायक है, जो अब विपक्ष का हिस्सा होगा। इससे पहले नवंबर 2024 में एनपीपी ने एनडीए से अपना समर्थन वापस ले लिया था। मणिपुर में कुल 60 विधानसभाएं हैं।
मणिपुर मीडिया के मुताबिक, जेडीयू ने समर्थन वापसी को लेकर मणिपुर के राज्यपाल को एक पत्र सौंपा है। राज्य में बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार है। फिलहाल जेडीयू के इस कदम से उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है, अभी तक यहां एनडीए सत्ता में नजर आ रही है। एनडीए के पास सरकार चलाने के लिए पूर्ण बहुमत है।