एक्सक्लूसिव – अमित बिश्नोई
आईपीएल के मुख्य प्रायोजक से चीनी कंपनी वीवो के हटने को राष्ट्रभक्ति से भले जोड़कर देखा जा रहा हो, लेकिन इसके अंदर की कहानी बाजार से जुड़ी हुई है. बीसीसीआई इससे भली भांति परिचित था. रविवार को आयोजित आईपीएल संचालन परिषद की बैठक से पहले ही वीवो के इस साल आईपीएल से नहीं जुड़ने की मंशा के बारे में बीसीसीआई के कुछ आला अधिकारियों को पता था,
मगर बोर्ड इतने अहम मौके पर 440 करोड़ रुपए का मोटा प्रायोजक खोना नहीं चाहता था. बोर्ड को उम्मीद थी कि चीनी कंपनी मान जाएगी, लेकिन इससे पहले ही वीवो के हटने की बात बाहर निकल आई.
आसान नहीं है हटना
सूत्रों की माने तो विवो का एक साल के लिए मुख्य प्रायोजक से हाथ खींचना आसान नहीं है. अगर बात आपसी समझौते पर भी बन जाती है तब भी बोर्ड को अपेक्स काउंसिल को भरोसे में लेना पड़ सकता है. वीवो से अलग होने का आधिकारिक बयान दोनों ओर से अब तक नहीं आया है. अनुबंध में इससे बाहर निकलने का भी प्रावधान है, लेकिन यह सिर्फ बोर्ड और वीवो को ही मालूम है.
वीवो ने रखी थी शर्त
सूत्र बताते हैं कि देश में चीन विरोधी माहौल और खराब होते बाजार के हालात के मद्देनजर ही वीवो ने बोर्ड अधिकारियों के समक्ष राशि को कम करने या फिर एक साल के लिए हटने की इच्छा जताई थी. आईपीएल के प्रायोजकों में कुछ अन्य कंपनियां ऐसी हैं जिनमें चीन की हिस्सेदारी है. उनसे दूर रहने की बात अब तक सामने नहीं आई है.
नया प्रायोजक ढूंढने में लगा बोर्ड
सूत्रों के अनुसार बोर्ड नया प्रायोजक ढूंढने में जुट गया है. हालांकि उसकी सबसे बड़ी चिंता अब तक लीग के लिए गृह और विदेश मंत्रालय की मंजूरी सरकार से नहीं मिलना है. संचालन परिषद की बैठक में बोर्ड सदस्यों ने मंगलवार तक सरकार की मंजूरी मिलने की उम्मीद जताई थी.