Rice export: केंद्र सरकार ने नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (एनसीईएल) के जरिए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को 75,000 टन गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात को मंजूरी दे दी है। हालांकि चावल निर्यात पर अभी प्रतिबंध है। भारत अपनी खाद्य सुरक्षा मांग को पूरा करने के लिए अपने मित्रवत और पड़ोसी देशों के अनुरोध पर उन्हें चावल भेज रहा है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने अधिसूचना में कहा कि एनसीईएल के माध्यम से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को 75,000 मीट्रिक टन गैर-बासमती चावल (एचएस कोड 1006 30 90 के तहत) के निर्यात की अनुमति है।
खुदरा कीमतों पर अंकुश लगाने और घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा
इससे पहले, सरकार ने गाम्बिया (5 लाख टन), सेनेगल (5 लाख टन), माली (1 लाख टन) और इंडोनेशिया (2 लाख टन), भूटान (48,804 टन) को टूटे चावल निर्यात की अनुमति दी थी। सरकार ने एनसीईएल के माध्यम से मॉरीशस (14,000 टन), भूटान (79,000 टन) और सिंगापुर (50,000 टन) को गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति दी है। पिछले साल नौ सितंबर को सरकार ने बढ़ती खुदरा कीमतों पर अंकुश लगाने और घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। 20 जुलाई को, इसमें घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और आगामी त्योहारी सीजन के दौरान खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया।
दाल कीमत नियंत्रित करने के लिए भंडारण सीमा 31 दिसंबर तक बढ़ाया
वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार ने तुअर और उड़द दाल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए भंडारण सीमा को 31 दिसंबर तक बढ़ाया है। अब थोक और बड़े विक्रेताओं के लिए डिपो स्तर पर स्टॉक लिमिट 200 से घटाकर 50 मीट्रिक टन की गई है। जबकि खुदरा विक्रेताओं और खुदरा आउटलेट के लिए यह सीमा पांच मीट्रिक टन की होगी।
सरकार ने जरूरी वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत मौजूदा स्टॉक लिमिट की समय सीमा दो माह के बढ़ा दी है। जो कि पहले 30 अक्तूबर तक थी। इसके अलावा मिल मालिकों के लिए स्टॉक सीमा पिछले तीन महीने के उत्पादन या वार्षिक क्षमता का 25 प्रतिशत से कम रखी गई है। यह फैसला बाजार में दाल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने और इसकी कीमतों में बढ़ोत्तरी रोकने के लिए किया गया है।