नई दिल्ली। बैंकों की आय में कमी के संकेत मिल रहे हैं। ऐसा अर्थजगत के जानकारों का कहना है। बाजार में छाई मंदी का असर बैंकों की आय पर भी पड़ेगा। हालांकि बैंकों ने ब्याज दर में वृद्धि की है और लोन की ब्याज दरें नहीं बढ़ाई है। ऐसा सिर्फ अपनी आय में वृद्धि के लिए किया है। लेकिन मंदी के चलते लोग किसी भी योजना में निवेश लगाने की स्थिति में नहीं हैं। जानकारों के मुताबिक बाजारों का हाल बुरा है। व्यापारी घाटे और करों के बोझ से दबे हुए हैं।
आरबीआई का कहना है कि जब तक महंगाई संतोषजनक दायरे में नहीं आती है, तब तक इसके खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी। रबी फसल का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। इससे खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में नरमी आएगी। हालांकि, पशुचारे के दाम बढ़ने से गर्मियों में दूध के दाम ऊंचे स्तर पर बने रहेंगे। प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियां भविष्य में महंगाई के लिए जोखिम पैदा कर सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजार में बढ़ती अनिश्चितता और आयातित महंगाई दबाव पर भी नजदीकी नजर रखने की जरूरत है।
पहली तिमाही से राहत संभव
खुदरा महंगाई के मोर्चे पर 2023-24 की पहली तिमाही से राहत मिल सकती है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा महंगाई के अनुमान को घटाकर 5.2 फीसदी कर दिया है। केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि अगर कच्चे तेल की कीमत औसतन 85 डॉलर प्रति बैरल पर रहती है तो चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई 5.2 फीसदी रहेगी। पहली तिमाही में यह 5.1 फीसदी रह सकती है। दूसरी एवं तीसरी तिमाही में यह थोड़ी बढ़कर 5.4 फीसदी पर पहुंच सकती है, जबकि चौथी तिमाही में घटकर 5.2 फीसदी रह सकती है।