आम आदमी पार्टी को सियासी हलकों में अक्सर भाजपा की बी टीम कहा जाता है क्योंकि जहाँ भी भाजपा और कांग्रेस की सीधी टक्कर होती है वहां पर AAP को मिला हर वोट बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित होता है क्योंकि मानकर चला जाता है कि यह वोट भाजपा से नहीं बल्कि कांग्रेस से टूटकर आया है. पिछले कुछ राज्यों के विधानसभा चुनावों की बात करें तो उत्तराखंड और गोवा इसका बेहतरीन उदाहरण हैं क्योंकि इन दोनों राज्यों में आप ने कांग्रेस को बड़ा नुक्सान पहुँचाया है, गोवा में तो वो तीसरे नंबर की पार्टी बन गयी जबकि उत्तराखंड में उसने 3.3 प्रतिशत वोट हासिल किये थे जो अगर कांग्रेस के 37.9 प्रतिशत में जुड़ जाते तो कांग्रेस का प्रतिशत 40 के ऊपर चला जाता और सीटों की संख्या भी काफी बढ़ सकती थी, बसपा के 6.8 फीसद मत मिलाने से तो भाजपा का सफाया हो सकता था जैसे कि चुनाव के दौरान नज़र आ रहा था.
बहरहाल इसबार गुजरात और हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी एड़ी छोटी का ज़ोर लगा रही है विशेषकर गुजरात में. ध्यान रखिये कि इन दोनों राज्यों में भी अबतक सीधी लड़ाई भाजपा और कांग्रेस में है. आम आदमी पार्टी ने अभी तक ऐसे किसी भी राज्य में मज़बूती से चुनाव नहीं लड़ा है जहाँ भाजपा की टक्कर कांग्रेस से न होकर किसी और पार्टी से रहती है. शायद इसीलिए उसपर भाजपा को फायदा पहुंचाने का आरोप लगता रहता है. अभी देखने वाली बाद है कि गुजरात के मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटी आम आदमी पार्टी अपने प्रयास में कितना सफल हो पाती है फिलहाल तो वो सरकार बनाने के दावे कर रही है.
गुजरात के सियासी हालात की बात करें तो पूरा चुनाव प्रधानमंत्री मोदी बनाम विपक्ष लग रहा है क्योंकि गुजरात का भाजपा नेतृत्व तो नगण्य है और न कहीं नज़र आ रहा है और न ही भाजपा गुजरात सरकार के नाम वोट मांग रही है. हर राज्य की तरह इस राज्य में भी उसका प्रधानमंत्री मोदी पर ही फोकस है. वहीँ कांग्रेस का चुनाव प्रचार इसबार काफी शांत दिख रहा है. कांग्रेस खेमे में इतनी शांति से भाजपा भी हैरान हैक्योंकि उसे लगा रहा है कि कांग्रेस पार्टी किसी रणनीति के तहत ही ऐसा कर रही है तभी प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि कांग्रेस ने इसबार उन्हें गालियां देने का ठेका किसी और(केजरीवाल) को दे दिया है. प्रधानमंत्री का यह बयान दर्शाता है कि उन्हें भी कांग्रेस की ख़ामोशी के पीछे कोई बात नज़र आ रही है.