मतदाताओं के मोबाइल और लैपटॉप में सेंध
शिमला। बदलते समय के साथ चुनाव प्रचार अब पहले की तरह नहीं रहा। राजनीतिक दलों की तरफ से प्रचार और प्रसार के पुराने तरीकों रोड शो,रैलियों की जगह डिजिटल प्रचार को अधिक महत्व दिया जा रहा है। इंटरनेट के माध्यम से अब मतदाताओं को रिझाया जा रहा है। विधानसभा चुनावों की हलचल सड़कों की जगह अब सोशल मीडिया साइट्स पर अधिक दिखाई दे रही है।
डिजिटल कैंपेन के माध्यम से मतदाताओं के मोबाइल फोन, लैपटॉप और कंप्यूटर सिस्टम तक राजनैतिक दलों ने अपनी पहुंच बनानी शुरू कर दी है। ट्वीटर,फेसबुक, यू ट्यूब, ट्रू कॉलर, गूगल सर्च, इंस्टाग्राम पर भाजपा और कांग्रेस के चुनाव प्रचार के वीडियो और पोस्टर अपलोड कर दिए गए हैं। हिमाचल प्रदेश की लोकेशन के आधार पर मतदाताओं को इंटरनेट के प्लेटफार्म पर फॉलो किया जा रहा है। इंटरनेट पर कोई साइट खोलते ही एक साइड में भाजपा,कांग्रेस के विज्ञापन दिखने लगते हैं। सोशल मीडिया साइट्स पर डिजिटल प्रचार की भरमार है।
राजनीतिक दलों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए विशेष पेज बनाए हैं। जिनके माध्यम से नीतियों को साझा किया जा रहा है। आधुनिक तकनीक के उपयोग के लिए दोनों राजनीतिक दलों ने आईटी विशेषज्ञ की मदद ली हैं। ये विशेषज्ञ क्षेत्रफल के अनुसार आबादी को टारगेट करके एक समय में लोगों की अलग-अलग कैटेगिरी बनाकर शहरी और ग्रामीण लोगों को कंटेंट भेजते हैं। सोशल मीडिया और इंटरनेट पर यूजर्स किस चीज को अधिक देख रहा है। उस आधार पर महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों, वयस्कों और युवाओं की श्रेणी बनाते हैं। इनका टारगेट हिमाचल प्रदेश है। जिलावार यह लोगों का वर्गीकरण करते हैं। इन वर्गों के आधार पर आईटी विशेषज्ञ चुनाव प्रचार करते हैं।