लंदन। कोरोनावायरस के खतरे में ब्लड ग्रुप की भी भूमिका हो सकती है. एक नए अध्ययन में कुछ इसी तरह का संकेत मिला है. इसमें पाया गया कि ब्लड टाइप के प्रभाव से किसी रोगी में बीमारी गंभीर भी हो सकती है और नहीं भी. यह दावा कोरोना रोगियों के आनुवांशिक विश्लेषण के आधार पर किया गया है.
ए ग्रुप डेंजर जोन में
वैज्ञानिकों के अनुसार, यूरोप में हजारों कोरोना रोगियों के जीन का विश्लेषण किया गया. इसके आधार पर ए ब्लड ग्रुप वाले रोगियों में बीमारी के गंभीर होने का खतरा ज्यादा पाया गया है, जबकि ओ ब्लड ग्रुप के पीडि़तों में यह खतरा कम पाया गया. न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुए अध्ययन से ब्लड टाइप से खतरे का संबंध साबित नहीं होता है, लेकिन यह चीन में पूर्व में हुए एक शोध का समर्थन करता है. चीनी अध्ययन में इस तरह के संबंध होने का दावा किया गया था.
अधूरा अध्ययन
मेडिकल कॉलेज ऑफ विस्कांसिन में रक्त विशेषज्ञ डॉ. परमेश्वर हरि ने कहा, ‘हममें से ज्यादातर इसका खंडन करते हैं, क्योंकि यह अधूरा अध्ययन है. कई दूसरे वैज्ञानिकों ने भी सावधानी रखने का अनुरोध किया है. स्क्रिप्स रिसर्च ट्रांसलेशनल इंस्टीट्यूट के प्रमुख डॉ. एरिक टोपोल ने कहा, ‘रक्त के प्रभाव की भूमिका के साक्ष्य अंतिम नहीं हैं. यकीन करने के लिए यह पर्याप्त संकेत नहीं है.अध्ययन में शामिल इटली, स्पेन, डेनमार्क, जर्मनी और दूसरे देशों के वैज्ञानिकों ने कोरोना संक्रमण से गंभीर रुप से पीडि़त दो हजार रोगियों के साथ हजारों ऐसे मरीजों की तुलना की, जो स्वस्थ या कोरोना के मामूली लक्षण वाले थे.