Gujarat chunavi dangal:- पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में जहां चार राज्यों में भाजपा का शानदार प्रदर्शन सामने आया और पंजाब में आप की सरकार बनी वही इन सभी राज्यों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन इस सबके बाद अब इन तीनो पार्टियों की नजर गुजरात के लक्ष्य को भेदने की ओर है। वही राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि गुजरात का चुनाव भाजपा को कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि भाजपा गुजरात मे 25 साल से राज कर रही है वही कांग्रेस यहां 27 साल से वनवास झेल रही है। लेकिन गुजरात मे सौराष्ट्र की भावना ने चुनावी रण में एक अहम भूमिका निभाई है।
Gujarat chunavi dangal:- गुजरात विधानसभा चुनाव में क्यों सौराष्ट्र को भेदना चाहती भाजपा
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अगर हम बात भाजपा की चुनावी रणनीति की करें तो उसने हमेशा गुजरात मे सबसे पहले सौराष्ट्र को भेदने की रणनीति तैयार की है। क्योंकि सौराष्ट्र में कुल 58 विधायक हैं। जहाँ सबसे अधिक पटेल समुदाय की आबादी है। भाजपा हमेशा इसे अपने मजबूत वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती है और गुजरात मे अपनी जीत का नगाड़ा बजाती है। अगर हम सौराष्ट्र की बात करें तो यहां भाजपा ने अपनी सबसे पहले पकड़ बनाई थी और केशुभाई पटेल के नेतृत्व में यहां सबसे ज्यादा सीटें जीत दर्ज की थी। लेकिन वर्ष 2017 के यहां पर काया पलट हुआ पाटीदारों की नाराजगी झेल रही भाजपा को यहां मुह की खानी पड़ी और विधानसभा चुनाव में सौराष्ट्र के गढ़ में कांग्रेस ने हुंकार भरी लेकिन भाजपा की रणनीति के चलते उंसे सत्ता में आने का मौका नहीं मिला हालांकि भाजपा को कांग्रेस ने कांटे की टक्कर दी थी।
गुजरात मे सौराष्ट्र को हार जीत का गढ़ कहे जाने का अमुख कारण यहां की सबसे ज्यादा सींटें हैं। यहां 58 विधानसभा सींटो पर चुनाव होता है और पार्टी की हार जीत का फैसला यही सींटें करती है। यहां पर सबसे बड़ा वोट बैंक कोली समुदाय का है जिसकी आबादी 30 फीसदी है। वही अगर हम सौराष्ट्र में आर्थिक रूप संम्पन्न समुदाय की बात करें तो वह पटेल समुदाय है जो राजनीती पर काफी हावी है। वही यह जिसके समर्थन में अपना झुकाव रखता है गुजरात मे उसी की सरकार बनती दिखाई देती है। पिछले कई सालों से इस समुदाय का रुझान भाजपा की ओर से लेकिन 2017 में राहुल ने इसे तोड़ा था और इसका काफी वोट कांग्रेस के खेमे में गया था।