भारतीय क्रिकेट के प्रशंसकों में आज सिडनी टेस्ट में टीम इंडिया की हार के बाद निराशा उस समय और बढ़ गयी जब मैदान में ऑस्ट्रेलिया के कप्तान पैट कमिंस को एलन बॉर्डर के हाथों बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी सौंपी गयी, जबकि उस समय सुनील गावस्कर मैदान पर ही मौजूद थे मगर उन्हें ट्रॉफी देने के लिए नहीं बुलाया गया. इसे महान गावस्कर का अपमान बताया जा रहा है क्योंकि ट्रॉफी दोनों देशों के दो लेजेंड्स एलन बॉर्डर और सुनील गावस्कर के नाम पर है. गावस्कर खुद भी ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट बोर्ड की इस हरकत से बहुत निराश और नाराज़ हैं, गावस्कर ने यहाँ तक कह दिया कि उन्हें ट्रॉफी देने के लिए इसलिए नहीं बुलाया गया क्योंकि वो एक भारतीय हैं.
ऑस्ट्रेलिया ने दस साल में पहली बार प्रतिष्ठित बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी हासिल की और इस परिणाम ने उन्हें विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल के लिए स्थान सुरक्षित करने में भी मदद की, जो 11 जून से लॉर्ड्स में खेला जाएगा। ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज बॉर्डर ने घरेलू टीम को ट्रॉफी प्रदान की, लेकिन गावस्कर को कार्यक्रम स्थल पर मौजूद होने के बावजूद नजरअंदाज कर दिया गया, जिससे वे खुश नहीं थे।गावस्कर ने कहा, मैं निश्चित रूप से ट्रॉफी देने के लिए वहां मौजूद होना पसंद करता। आखिरकार यह बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी है। मेरा मतलब है, मैं यहाँ मैदान पर हूँ। मेरे लिए यह मायने नहीं रखता कि ऑस्ट्रेलिया ने जीत दर्ज की। उन्होंने बेहतर क्रिकेट खेला इसलिए वे जीते। यह सिर्फ़ इसलिए कि मैं भारतीय हूँ?
बता दें कि बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी की शुरुआत 1996-97 से हुई है, जिसमें शुरुआती सालों में ऑस्ट्रेलिया का दबदबा था लेकिन पिछले एक दशक से भारत ने ऑस्ट्रेलिया को इस ट्रॉफी पर कब्ज़ा करने नहीं दिया। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने बाद में पुष्टि की कि गावस्कर को पता था कि अगर भारतीय टीम सिडनी टेस्ट जीत जाती और ट्रॉफी अपने पास रखती तो वह भारतीय कप्तान जसप्रीत बुमराह को पुरस्कार प्रदान करते। सीए के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, “हम मानते हैं कि अगर एलन बॉर्डर और सुनील गावस्कर दोनों को मंच पर आने के लिए कहा जाता तो यह बेहतर होता।