बाजार के दिग्गज समीर अरोड़ा के मुताबिक के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारतीय बाजारों में हाल ही में देखी गई बिकवाली का दौर लगभग पूरा हो चुका है। उनके मुताबिक अभी ये बिकवाली कुछ सप्ताह और रह सकती है. उनके अनुसार एफआईआई भारतीय शेयरों को मुख्य रूप से खराब कॉर्पोरेट आय के कारण बेच रहे हैं, न कि अमेरिका या चीन में फंड को फिर से आवंटित करने के कारण।
बता दें कि पिछले कुछ हफ्तों में, भारतीय बाजारों को एफआईआई द्वारा 1.2 लाख करोड़ रुपये की भारी बिकवाली का सामना करना पड़ रहा है।
समीर अरोड़ा ने कहा कि आम धारणा यह है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रुख के कारण निवेशक चीन से दूर रह सकते हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि ऐसा ही हो। उन्होंने कहा, “वैश्विक निवेशकों का भारत में निवेश बहुत कम हो सकता है, अक्सर सिर्फ़ 1 प्रतिशत, जबकि अमेरिकी बाजारों में यह लगभग 60 प्रतिशत है। यह संभावना नहीं है कि वे भारत में अपनी पहले से ही छोटी हिस्सेदारी को कम करके अमेरिकी होल्डिंग्स को और बढ़ाएंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि अगले तीन महीनों में कमज़ोर आय में बदलाव नहीं हो सकता है। बल्कि, आय को वापस आने में छह से नौ महीने और लगेंगे।
अरोड़ा के मुताबिक पिछले तीन सालों में निफ्टी के लिए इतिहास में सबसे कम रिटर्न देखने को मिला है, हालांकि एनएसई 500 इंडेक्स, जिसमें मिड और स्मॉल-कैप स्टॉक शामिल हैं, ने कुछ हद तक बेहतर प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा, “पिछले 5 सालों को छोड़कर, यह संख्या किसी भी अन्य अवधि के साथ थोड़ी अलग दिखती है।” हालांकि, उन्होंने कहा कि अवधि को सात साल तक बढ़ाने से सामान्य सीमा के भीतर रिटर्न मिलता है, जहां “सामान्य का मतलब है कि निफ्टी के लिए 13-14% और निफ्टी 500 के लिए 15-16%।”
अरोड़ा ने कहा, उनका सिद्धांत यह है कि जो चीजें खराब चल रही हैं, वे बहुत तेजी से सुधरती हैं और जो चीजें अच्छी चल रही हैं, वे इतनी जल्दी अच्छा प्रदर्शन करना बंद नहीं करती हैं। उन्होंने कहा कि हम अमेरिकी बाजारों की तुलना में कम प्रदर्शन कर सकते हैं, लेकिन निराशावाद की कोई जरूरत नहीं है।