एक बिजनेस वेबसाइट की खबर के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच के लिए पैनल गठित करने के किसी भी प्रस्ताव पर विचार किए जाने से इनकार किया है। इससे पहले समाचार सेवा इंफॉर्मिस्ट ने वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से खबर दी थी कि मंत्रालय हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए एक पैनल गठित करने पर विचार कर रहा है।
इंफॉर्मिस्ट ने अधिकारी के हवाले से कहा कि इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पैनल में सेबी बोर्ड के पूर्णकालिक और अंशकालिक सदस्यों के साथ-साथ सरकारी अधिकारियों का प्रतिनिधित्व हो सकता है, पैनल गठित करने पर चर्चा चल रही है, सरकारी अधिकारी ने ये भी बताया कि मंत्रालय ने अभी तक पैनल के गठन को अंतिम रूप नहीं दिया है।
इंफॉर्मिस्ट समाचार रिपोर्ट में सरकारी अधिकारी के हवाले से कहा गया है, “अगर चेयरपर्सन के खिलाफ आरोप लगाए जाते हैं, भले ही आठ अन्य सदस्य सेबी बोर्ड का हिस्सा हों, तो उनके नेतृत्व में बयान वास्तव में समझ में नहीं आता है क्योंकि यह मुद्दा बहुत संवेदनशील है, साथ ही उन्होंने कहा कि मामला ‘ऑप्टिक्स’ का भी है।
सेबी बोर्ड में चार पूर्णकालिक सदस्य हैं, पूर्व एसबीआई एमडी अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण, अमरजीत सिंह और पूर्व संयुक्त राजस्व सचिव कमलेश चंद्र वार्ष्णेय। उनके साथ बोर्ड में अंशकालिक सदस्य भी हैं – डीईए सचिव अजय सेठ, एमसीए सचिव मनोज गोविल, आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव और आईआईएम प्रोफेसर वी रवि अंशुमान।
बता दें कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने हिंडनबर्ग रिसर्च के उन आरोपों का जोरदार खंडन किया था कि उनके पास अडानी समूह की कंपनियों से जुड़ी ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सेदारी है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह के इर्द-गिर्द बुच की जांच में उनके पिछले निवेशों के कारण हितों के टकराव का आरोप लगाया था।