मेरठ। विधानसभा चुनाव 2022 (Assembly Election 2022) के परिणाम एक बाद फिर भाजपा के पक्ष में आए तो संगठन में खुशी की लहर दौड़ गई। वहीं चुनाव परिणाम आने और भाजपा को जनादेश मिलने के बाद सबसे बड़ी कवायद शुरू हुई मंत्रिमंडल गठन की। लेकिन समस्या सबसे बड़ी कि मंत्रिमंडल में किसको शामिल किया जाए और किसे नहीं इस पर 10 मार्च के बाद से ही गहन मंथन शुरू हो गया था। तमाम माथापच्ची और निष्र्कर्ष के बाद भी समाधान नहीं निकल रहा था तो संघ एक बार फिर से सामने भाजपा के लिए मददगार साबित हुआ। मंत्रिमंडल गठन में संघ का दिमाग और भाजपा संगठन का उन नामों को समर्थन देने के बाद ही टीम योगी का गठन हो सका। इन पूरे मामलों में सस्पेंस इतना गहरा था कि शपथ ग्रहण से पहले तक नामों पर परदा पड़ा रहा। खुद विधायकों को नहीं मालूम था कि उनका नाम लिस्ट में शामिल है या नहीं।
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भाजपा ने प्रदेश की राजनीति के तमाम मिथक तोड़ते और तीन दशक के बाद दूसरी बार सरकार बनाई। इसके साथ ही देश की आजादी के बाद पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने पांच साल सत्ता संभालने के बाद दोबार फिर से सत्ता में वापसी जैसा कमाल दिखाया।
मंत्रियों के चयन में दिल्ली से लखनऊ तक बैठकें
योगी आदित्यनाथ की टीम के लिए विधायकों का चयन कोई हंसी खेल नहीं था। इसके लिए लखनऊ से लेकर दिल्ली तक बैठकों के कई दौर चले। कई बार सूची बनी और हर बार छटनी होती रही। लेकिन अंत में कई चौंकाने वाले नामों ने मंत्रिमंडल में शाामिल होने की शपथ ली। पुराने दिग्गज और असरदार नेता और चेहरे बाहर हो चुके थे।
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सवाल यह है कि योगी टीम के गठन में आखिरकार किसी चली। संघ के एक वरिष्ठ प्रचारक का कहना है कि इसमें संघ की और भाजपा संगठन दोनों की चली। लेकिन सबसे अधिक 2024 की चली। प्रचारक की बात सही दिखाई दी। योगी टीम का गठन मिशन 2024 को ध्यान में रखकर किया गया। जिसमें जातियों के वोटों को ध्यान में रखकर मिशन 2024 के लिए किरदार तलाशे। फिर इन्हीं किरदारों को योगी टीम का हिस्सा बनाया गया।