- डायमंड इंडस्ट्री का हब कहे जाने वाले सूरत में मजदूरों को रोकने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले फेंकने पड़े
सूरत : कोरोना महामारी को रोकने के लिए तीसरी बार बढ़ाए गए लॉकडाउन से प्रवासी मजदूरों का सब्र जवाब दे रहा है. घर जाने की मांग कर रहे मजदूरों ने सोमवार को सूरत में जमकर हंगामा किया. हालात इस कदर खराब हुए कि पुलिस को आंसू गैस का यूज करना पड़ा. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कडोदरा इलाके में रहने वाले मजदूर कई दिनों से घर जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से बार-बार सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा था. सोमवार को मजदूरों ने आपा खो दिया और घरों से बाहर निकलकर हंगामा किया.आस-पास खड़ी गाड़ियों में तोड़फोड़ भी की.
हर व्यक्ति से 3500 रुपए वसूलने का आरोप
सूरत प्रशासन ने मजदूरों को उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान की तरफ लग्जरी बसों से जाने की अनुमति दी और मजदूर बसों में सवार होकर जब शहर से बाहर पहुंचे तो यहां उन्हें आगे जाने से रोक दिया गया था. तपती धूप में ना खाने पीने का इंतजाम और उपर से प्रशासन द्वारा रोके जाने से मज़दूरों की हालत और खराब हो गई थी.सूरत के पांडेसरा इलाके में मजूदरों को सड़क पर उतार दिया गया था. मजदूरों ने इस दौरान सोशल डिस्टेनसिंग का ख्याल रखा, लेकिन घर जाने के लिए वह बेचैन थे. उनसे प्रति व्यक्ति की दर से 3500 रुपए भी वसूला गया था. सूरत के कलेक्टर धवल पटेल से जब मजदूरों को रोके जाने के बारे में पूछा गया था तो वह आग बबूला हो गए थे.
पहले डायमंड बोर्स में किया था हंगामा
खाजोड़ में तैयार की जा रही एशिया की सबसे बड़ी डायमंड बोर्स में 28 अप्रैल को काम कर रहे मजदूरों ने जमकर हंगामा किया था.लॉकडाउन के बावजूद काम लिए जाने से मजदूरों में गुस्सा है. मजदूरों ने बोर्स के कार्यालय पर पथराव और तोड़फोड़ कर दी थी.मजदूरों ने आरोप लगाया कि उन्हें खाना नहीं मिल पा रहा है। वे घर भेजे जाने की मांग कर रहे थे। यहां डायमंड बोर्स में करीब 4 हजार मजदूर काम कर रहे हैं.
मजदूरों ने 10 अप्रैल को भी हंगामा किया था
प्रवासी मजदूर 10 अप्रैल को हंगामा कर चुके हैं. मजदूरों का आरोप था कि उन्हें पर्याप्त खाना नहीं मिल रहा है.कोरोनावायरस संकट के दौरान वे यहां असुरक्षित हैं। तब किसी तरह पुलिस ने मजदूरों को समझाकर शांत किया था. गौरतलब है कि देश में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए पिछले 41 दिनों से लॉकडाउन जारी है. हालांकि अब लॉकडाउन 3 में थोड़ी रियायत भी दी गई है और जगह-जगह फंसे लोगों को ले जाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन भी चलाई जा रही है.–