नयी दिल्ली। पीएम मोदी के 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज पर दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले दो महीनों में किसानों को दी गई मदद पर भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 3 करोड़ किसानों ने 4.22 लाख करोड़ रुपये के लोन पर 3 महीने की ईएमआई पर दी गई राहत का फायदा उठाया। फसल लोन पर ब्याज सबवेंशन (IS) और शीघ्र पुनर्भुगतान प्रोत्साहन (PRI) को 31 मई तक के लिए बढ़ाया गया। इसके अलावा 25000 करोड़ रुपये की कुल लोन लिमिट के साथ 25 लाख नए 25 लाख नए किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए। कोरोना के समय में 63 लाख लोन कृषि क्षेत्र के लिए मंजूर किए गए, जिसकी कुल राशि 86,600 करोड़ रुपये है। रूरल इन्फास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड के तहत राज्यों को 4200 करोड़ रुपये की मदद दी गई।
इसके अलावा राज्य सरकारों की इकाइयों को किसानों की फसल खरीदने के लिए 6700 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई। नाबार्ड (नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट) ने ग्रामीण बैंकों को 29,500 करोड़ की मदद दी है। सरकार की तरफ से बेघर लोगों को 3 वक्त खाना दिया जा रहा हैं। उनके लिए पैसे की भी व्यवस्था की गई है। शहरी गरीबों को 11,000 करोड़ रुपये की मदद की गई है। इसके अलावा एसडीआरएफ के जरिए मदद दी जा रही है।
सरकार ने 3 करोड़ मास्क और 1.20 लाख लीटर सेनिटाइजर की भी व्यवस्था की, जिससे शहरी गरीब वर्ग के रोजगार की संभावनाएं बढ़ीं। बता दें कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज के ऐलान के साथ ही कहा था कि इस पैकेज के बारे में विस्तार से केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बताएंगी। वित्त मंत्री ने कल यानी 13 मई को देश के छोटे कारोबारियों यानी एमएसएमई, एनबीएफसी और ईपीएफ योगदान पर कई बड़े ऐलान किए। इसी क्रम में आज किसानों के लिए बड़े ऐलान की बात कही गई थी।
कोरोना के दौरान प्रवासी मजदूरों के लिए शेल्टर होम की व्यवस्था की जाएगी। जो शहरी लोग बेघर हैं, उन्हें इसका फायदा मिला।
जो अप्रवासी मजदूर अपने राज्यों में लौटे हैं, उनके लिए भी योजनाएं हैं। इस पर अब तक 10 हजार करोड़ रुपए खर्च कर चुके हैं। इसके तहत 1.87 हजार ग्राम पंचायतों में काम हुआ है। जो मजदूर अपने घरों में लौटे हैं, वे वहीं रजिस्टर कर काम ले सकते हैं। मनरेगा के तहत मजदूरी 182 रुपए से बढ़ाकर 200 रुपए कर दी गई है।
मजदूरों को लाभ देने जा रहे हैं। न्यूनतम वेतन का लाभ 30% वर्कर उठा पाते हैं। समय पर उन्हें पैसा नहीं मिलता। गरीब से गरीब मजदूर को भी न्यूनतम वेतन मिले और क्षेत्रीय असामनता दूर हो इसके लिए कानून बनाया जाएगा।
8 करोड़ प्रवासी मजदूरों के लिए फ्री राशन की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए 3500 करोड़ रुपए का प्रावधान कर रहे हैं। 5-5 किलो गेहूं या चावल और एक किलो चना दिया जाएगा। राज्य सरकारों पर इसे लागू करने की जिम्मेदारी होगी।
वहीं प्रवासी किसी भी राशन कार्ड कार्ड से किसी भी राज्य की किसी भी दुकान से खाद्य सामग्री ले सकेंगे। वन नेशन वन राशन कार्ड अगस्त से लागू किया जाएगा।