बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी के लिए 9 फरवरी से नागपुर में खेला जाने वाला पहला टीम इंडिया के लिए बड़ा महत्त्व रखता है क्योंकि चार टेस्ट मैचों की यह श्रंखला ICC टेस्ट चैम्पियनशिप के लिए खेली जा रही है. भारत और ऑस्ट्रलिया दोनों ही फाइनल के लिए सबसे बड़ी दावेदार हैं. ऑस्ट्रेलिया जहाँ 75. 56 अंको के साथ सुरक्षित रूप से पहले नंबर पर है वहीँ भारत के पास 58.93 अंक हैं और वो अभी दूसरे नंबर पर है. इस श्रंखला को मार्जिन से जीतकर फाइनल के लिए उसकी पोजीशन मज़बूत हो सकती है. यह टेस्ट श्रंखला कप्तान रोहित शर्मा के लिए भी किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है. भारत ने जो पिछले 10 टेस्ट मैच खेले में उसमें से रोहित आठ में किसी न किसी वजह से नदारद रहे हैं, इसलिए बतौर खिलाड़ी और कप्तान भी उन्हें बताना है कि अभी उनमें बहुत दम है. इस बार उनका सामना भी उस ऑस्ट्रेलियाई टीम से है जिसमें उसके सभी मुख्य खिलाड़ी मौजूद हैं.
रोहित की अग्नि परीक्षा
रोहित को आधिकारिक रूप से टीम का कप्तान बने अब एक साल से अधिक हो गया है. कप्तान बनने के बाद से भारत ने जो पांच मैच खेले हैं रोहित ने उनमें से सिर्फ दो मैच ही खेले हैं. पिछले 10 टेस्ट मैचों में चोट ने आठ मैचों में उन्हें बाहर ही बिठाये रखा. हालाँकि देखा जाए तो ऑस्ट्रेलिया को उसके ही घर में 2-1 से टेस्ट श्रंखला हारने के बाद से भारतीय टीम के प्रदर्शन में थोड़ी गिरावट ही देखी गयी. इंग्लैंड के खिलाफ श्रंखला बराबरी पर छूटी। बांग्लादेश के खिलाफ भी दूसरे टेस्ट में बड़ी मुश्किल से जीत मिली। ऐसे ICC टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल के लिए टीम को दमदार प्रदर्शन दिखाना होगा।
लाल मिटटी का खेल
अब जहाँ तक नागपुर टेस्ट की बात है तो यहाँ पर अबतक 6 टेस्ट खेले गए हैं जिसमें टीम इंडिया ने चार में कामयाबी हासिल की है, साउथ अफ्रीका के खिलाफ 2010 में उसे पारी की हार का सामना करना पड़ा था वहीं इंग्लैंड के खिलाफ 2012 में टेस्ट मैच बराबरी पर ख़त्म हुआ था. यहाँ पर लाल मिटटी की पिच है और लाल मिटटी की पिच बल्लेबाज़ों के लिए कब कब्रगाह बन जाय यह अभी लखनऊ में खेले गए टी 20 मैच में देखने को मिला था, जिसमें क्यूरेटर को नौकरी से हाथ धोना पड़ा था. हालाँकि पहली पारी में औसत स्कोर 400 का है जो चौथी पारी में जाकर 200 रनों के आसपास पहुँच जाता है.