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यूपी चुनाव 2022: राम की जन्मभूमि अयोध्या से कर्मभूमि चित्रकूट तक फैली पांचवे चरण की 61 सीटों पर किसको मिलेगी बढ़त

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यूपी चुनाव 2022: राम की जन्मभूमि अयोध्या से कर्मभूमि चित्रकूट तक फैली पांचवे चरण की 61 सीटों पर किसको मिलेगी बढ़त

By: Dheeraj Upadhyay

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (Uttar Pradesh Assembly Election) के चार चरणों में 231 सीटों पर मतदान पूरा होने के बाद अब चुनाव निर्णायक पांचवे चरण में पहुँच गया है। इस चरण में 27 फरवरी को अवध से लेकर पूर्वांचल के 12 जिलों में स्थित सबसे अधिक 61 सीटों पर 692 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा। पांचवें चरण का संग्राम धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है जहाँ 61 सीटों पर मुक़ाबला भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या से लेकर संगमनगरी प्रयागराज होते हुए उनकी कर्मभूमि चित्रकूट तक फैला है।

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इस चरण में जहाँ भाजपा (BJP) के लिए अपना प्रदर्शन दोहराते हुए अपना किला बचाए रखने की चुनौती है तो सपा, बसपा और कांग्रेस के लिए सत्ता में वापसी का दारोमदार इसी चरण पर टिका है। यूपी चुनाव के इस चरण में अयोध्या के साथ गांधी परिवार का गढ़ कहे जाने वाले अमेठी जिले में भी अग्नि परीक्षा होगी। इस फेज में जहाँ अवध के सुल्तानपुर, अयोध्या, अमेठी, और बाराबंकी में मतदान होना है तो वही अवध के तराई क्षेत्र बहराइच, गोंडा और श्रावस्ती जिलों की सीटे भी इसमें शामिल है। इसके अलावा प्रयागराज, प्रतापगढ़ और कौशंबी जिलों की सीटों के साथ बुंदलेखंड के चित्रकूट जिले की भी दो सीटें पर इसी चरण में वोटिंग होगी। 

क्या बीजेपी 2017 का प्रदर्शन दोहरा पाएगी ?

इस चरण में जिन 61 सीटों पर मतदान होना है उनमें से करीब 90 फीसदी सीटों पर 2017 में भाजपा और उसके सहयोगी अपना दल का कब्जा था। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इन 60 सीटों में से 51 सीटें जीती थी। जबकि उसकी सहयोगी अपना दल (एस) को दो सीट मिली थी। वहीं सपा ने 5 सीटें और कांग्रेस को एक सीट तथा दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव जीता था। जबकि बसपा का इस चरण में खाता भी नहीं खुल सका था।

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लेकिन भाजपा के लिए इस बार रह आसान नहीं है, पहले तीन कठिन चरणों के बाद अवध क्षेत्र में पड़ने वाले चौथे और पांचवे चरण की 120 सीटों में 102 सीटों पर भाजपा और उसके सहयोगी दलों का कब्जा 2017 में था। इसलिए बीजेपी इन दो चरणों में अधिक से अधिक बढ़त लेने के बारे में सोच रही है क्योंकि पूर्वांचल में पिछड़ी जाति के छोटे दलों के जातीय समीकरण और आवारा पशु की समस्या भाजपा की रणनीति पर भारी पड़ सकती है। हालांकि भाजपा को उम्मीद है कि एक बार फिर उसे अवध क्षेत्र में प्रभु श्रीराम और अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर का सहारा मिल सकता है।

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