अंदेशा तो पहले से ही था, बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में जिस तरह की पिचें बनाई गयी थीं उन्हें किसी भी हाल में टेस्ट मैचों के लिए आदर्श पिच नहीं कहा जा सकता। ICC मैच रेफरी ने नागपुर और दिल्ली की पिचों को पहले ही औसत करार दिया था लेकिन इंदौर की पिच पर तो सिर्फ सवा दो दिन में ही मैच निपट गया. होल्कर स्टेडियम की इस पिच को तीन डिमेरिट अंक दिए गए है और BCCI को इस फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए 14 दिन का समय दिया गया है.
पांचवीं गेंद से ही टूटने लगी थी पिच
बता दें कि होल्कर मैदान की पिच का पहली ही गेंद से बुरा हाल था. आधे घंटे में पिच से धूल उड़ने लगी थी. पहले दिन 14 विकेट धराशायी हुए, वहीँ दुसरे दिन 16. कुल मिलाकर 31 विकेट गिरे जिसमें तेज़ गेंदबाज़ों के खाते में सिर्फ 4 विकेट गए. मैच रेफरी के मुताबिक पिच बहुत सूखी थी और गेंद व बल्ले के बीच असंतुलन पैदा कर रही थी. शुरुआत से ही यह पिच ज़रुरत से ज़्यादा स्पिन फ्रेंडली थी. नियमों के मुताबिक किसी वेन्यू को अगर पांच साल के रोलिंग पीरियड में पांच डिमेरिट अंक मिलते हैं तो उससे एक साल के लिए किसी भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की मेजबानी छीनी जा सकती है.
मीडिया से उलझ पड़े थे रोहित
मैच रेफरी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पांचवीं गेंद से पिच की सतह टूटने लगी थी, असमान उछाल था, सीम मूवमेंट गायब था। बता दें कि पिचों पर लेकर पूछे गए सवाल पर आज कप्तान रोहित शर्मा भी मीडिया से उलझ गए और खीज मिटाने के लिए कहने लगे कि भारत में पिच पर ज़रुरत से ज़्यादा बातें होती हैं, सभी टीमें घरेलु श्रंखलाओं में अपने फायदे वाली पिचें बनाती हैं, हम अगर स्पिन पिचों पर खेल रहे हैं तो कौन सी आफ़त आ गयी. रोहित ने यह भी कह दिया कि भारत में आगे भी ऐसी ही पिचें बनेगी क्योंकि हमें उनपर जीत मिलती है.