किसानों ने मोदी सरकार के खिलाफ एकबार फिर लम्बी लड़ाई छेड़ने का एलान कर दिया। दिल्ली कूच कर रहे किसानों की तैयारी तो ऐसी ही नज़र आ रही है। पंजाब से दिल्ली की तरफ बढ़ रहे किसानों के ट्रेक्टर अनाज की बोरियों से लदे हैं, डीज़ल के ड्रम भी हैं, टेंट का सामान भी है। ऐसा लग रहा जैसे 2020 को फिर दोहराया जा रहा है जब किसानों ने दिल्ली की सीमाओं को सील कर दिया था, 13 महीने तक आंदोलन चला था और मोदी सरकार को कृषि कानून वापस लेने पड़े थे, या अलग बात है कि उन तीन काले कानूनों को कानूनन अभी तक वापस नहीं लिया गया है, वो ठन्डे बास्ते में पड़े हैं.
दिल्ली कूच कर रहे किसानों की मांगे अब भी वही पुरानी हैं, वो आज भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने समेत कई अन्य मांग कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि इस बार पहली बार से ज़्यादा तैयारी करके आये हैं, सुई से लेकर हथोड़े तक सब कुछ लेकर आये हैं और इस बार सारी मांगे मनवा कर ही वापस जायेंगे। किसानों का कहना कि पिछली बार किसानों का आंदोलन तोड़ने के लिए केंद्र सरकार ने सारे हथकंडे अपनाये थे. बिजली पानी बंद कर दिया था, डीज़ल भी नहीं दे रहे थे लेकिन इस बार हम पर्याप्त मात्रा में डीज़ल अपने साथ लेकर आये हैं.
पिछले आंदोलन में शामिल बहुत से किसानों का कहना है कि सरकार ने हमें धोखा देकर आंदोलन ख़त्म कराया। सरकार ने जो वादे किये थे कोई भी पूरा नहीं किया लेकिन इसबार हम तब तक यहाँ से नहीं हटेंगे जबतक सारी मांगे मानी नहीं जातीं. पिछले आंदोलन में हमें जो अनुभव हुआ है उससे हमने बहुत कुछ सीखा है, इसलिए इस बार तैयारी पहले से बेहतर है. जानकारी के मुताबिक दिल्ली बढ़ रहे किसानों को रोकने के लिए सरकार ने अपने दो मंत्री बातचीत के लिए चंडीगढ़ भेजे थे लेकिन एमएसपी, किसानों की कर्ज माफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने जैसे मुद्दों पर कोई सहमति नहीं बन पाई थी। फिलहाल किसानों के आंदोलन को देखते हुए दिल्ली को एक किले में तब्दील कर दिया गया है। गाजीपुर, टिकरी और सिंघु बॉर्डर की बैरिकेडिंग की गई है, पिछली बार की तरह सड़कों पर नुकीली कीलें ठोंक दी गयी हैं ताकि कोई ट्रेक्टर दिल्ली में न घुस सके।