लंदन। गूगल सर्च इंजन के एकाधिकार मामले में यूरोपीय संघ की एक शीर्ष अदालत ने तगड़ा झटका दिया है। यूरोपीय संघ (ईयू) की शीर्ष अदालत ने प्रतिस्पर्धा का गला घोटने व यूजर्स के लिए विकल्प घटाने के लिए लगा चार अरब डॉलर यानी लगभग 31,778 करोड़ रुपये का जुर्माना खत्म करने से भी इनकार कर दिया। कोर्ट ने गूगल की अपील पर सुनवाई के दौरान कहा कि हम यूरोपीय नियामक के फैसले पर मुहर लगाते हैं। कंपनी ने एंड्रॉयड मोबाइल निर्माताओं और मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटरों पर गैर-कानूनी प्रतिबंध थोप दिए थे। जिससे कि गूगल सर्च इंजन बाजार में अपना प्रभुत्व बना सके। एकाधिकार खत्म करने वाली गतिविधियों को लेकर गूगल व अदालतों का विवाद 2015 से शुरू हुआ था। तीन साल बाद यूरोपीय आयोग ने कंपनी पर अब तक का सबसे भारी-भरकम एंटी-ट्रस्ट जुर्माना लगाया था। जिसे खारिज कराने के लिए उसने शीर्ष कोर्ट का रुख किया था। लेकिन वहां भी उसको राहत नहीं मिली है। यूरोप के दूसरे सबसे बड़ी अदालत ने अपने एक आदेश में कहा कि उल्लंघन की गंभीरता और इसकी अवधि को देखते हुए गूगल पर 4.125 अरब यूरो यानी 3.99 अरब डॉलर का जुर्माना बिल्कुल ही वाजिब है। आयोग ने 4.34 अरब यूरो जुर्माना लगाया था। जिसे अदालत ने पांच फीसदी कम कर दिया।
कोर्ट द्वारा जुर्माना बरकरार रखे जाने पर गूगल ने निराशा व्यक्त की है। कंपनी प्रवक्ता ने बताया कि हम निराश हैं क्योंकि कोर्ट ने आयोग का फैसला कैसिंग नहीं किया है। असल में एंड्रॉयड ने न सभी यूजर्स के लिए अधिक विकल्प पैदा किए हैं। यूरोप सहित दुनियाभर में इसके आसरे हजारों सफल कारोबार चलते हैं। कोर्ट में गूगल की यह दूसरी लगातार हार है। इससे पहले, पिछले साल उसने 2.42 अरब डॉलर जुर्माने को चुनौती दी थी। जो खारिज कर दी गई थी। आयोग ने माना था कि गूगल की गतिविधियां प्रतिस्पर्धा-रोधी हैं और उपभोक्ताओं के लिए ये विकल्पों को भी कम करती हैं।