अमित बिश्नोई
प्रधानमंत्री मोदी आज एकबार फिर भावुक हो गए, एकबार फिर उनको अपना बचपन याद आ गया, एकबार फिर गुजरात याद आ गया, आज महाराष्ट्र के शोलापुर में भीड़ को सम्बोधित करते हुए उनकी आवाज़ भर्रा गयी, वो खामोश हो गए, आँखों में आंसू भरे हुए थे, गला रुँधा हुआ था, ऐसा लग रहा था मानों फफक फफक कर रो पड़ेंगे, लेकिन उन्होंने खुद को संभाला। हमेशा की तरह. जब से मोदी जी प्रधानमंत्री बने हैं कई बार भावुक हुए हैं, रोये भी हैं. पहले का तो नहीं मालूम लेकिन 2014 के बाद से लोगों ने उनको ऑन कैमरा बहुत बार भावुक होते देखा है, इस भावुकता की टाइमिंग भी बड़ी सटीक रहती है, ऐसा नहीं कि हर बात पर वो भावुक हो जांय।
पहली बार उनको भावुक होते देश ने तब देखा जब 2014 में भाजपा के सांसदों को संबोधित कर रहे थे, उन्हें संसदीय दल का नेता चुना गया था, प्रधानमंत्री बनने की मुहर लग चुकी थी. भाजपा संसदीय दल की इस बैठक में ‘गुजरात’ शब्द का उच्चारण करते ही मोदी जी की आंखों में आंसू आ गए. एक बार नहीं बल्कि जब-जब उन्होंने अपने गृहराज्य से प्रधानमंत्री कार्यालय तक की अपनी यात्रा को याद किया आंसू छलक पड़े. अगली बार उनकी आवाज़ तब भर्रा गयी जब राज्यसभा से कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आज़ाद की विदाई हो रही थी जिनके मन से तब तक कांग्रेस पार्टी दूर हो चुकी थी, उस दिन विदाई तो चार सांसदों की थी लेकिन मोदी जी रोये कांग्रेस नेता के लिए. इसबार भी उनके रोने की वजह गुजरात ही थी. प्रधानमंत्री मोदी एक आतंकी घटना का जिक्र करते हुए भावुक हुए थे। उन्होंने रुंधे हुए गले से बताया था कि किस तरह से उस समय गुलाम नबी आजाद ने फंसे हुए गुजरातियों की चिंता अपने परिवार के सदस्यों की तरह की थी.
प्रधानमंत्री अगली बार कैमरे के सामने तब भावुक हुए जब देहरादून की एक महिला ने मोदी जी में भगवान् को देखा। महिला एक लाभार्थी थी जिसने जन औषधि दिवस के अवसर पर वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत की थी, ये महिला पक्षाघात से पीड़ित थी उसने मोदी जी से कहा कि मैंने आपमें भगवान् को देखा। उस महिला के ये कहने पर मोदी जी भावुक हो उठे. अगली बार प्रधानमंत्री कोरोना काल में भावुक हुए थे, वो वाराणसी के डॉक्टरों और हेल्थ वर्कर्स को संबोधित कर रहे थे, उस समय कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर चल रही थी और बहुत से डॉक्टरों की जान भी चली गयी थी और अब महाराष्ट्र के शोलापुर में भावुक प्रधानमंत्री को एकबार फिर देश ने देखा और जाना कि प्रधानमंत्री ने अपना बचपन कैसे बिना छत के गुज़ारा। आज गुजरात का वही बाल नरेंद्र देश की सबसे बड़ी प्रधानमंत्री आवास योजना का उद्घाटन कर रहा था. जिस समय प्रधानमंत्री मोदी सामने बैठी भीड़ को सम्बोधित कर रहे थे और इस योजना का ज़िक्र कर रहे थे तो फ़्लैश बैक की तरह उन्हें अपना बचपन याद गया, बोले काश मुझे भी बचपन में ऐसे घर में रहने का मौका मिला होता. भर्राये गले से उन्होंने कहा कि आज जब वो ये चीज़ें देखते हैं तो मन को बड़ा संतोष होता है. ये हज़ारों लोगों के सपने जब साकार होते हैं तो उनके आशीर्वाद उनकी सबसे बड़ी पूँजी होती है.
भीड़ भी मोदी जी की इस भावुकता में भावुक हो गयी और जय जय मोदी बोलने लगी. भीड़ तो वैसे भी मोदी जी को बहुत पसंद है, ये अलग बात है कि वो भीड़ सुनने वाली होनी चाहिए न कि सुनाने वाली। ऐसी भीड़ देखते है मोदी जी में एक नया जोश दौड़ जाता है. सचमुच में आज महाराष्ट्र के शोलापुर में वो बहुत जोश में थे, और ये जोश तब था जब इन दिनों वो यम नियमों का पालन कर रहे हैं। आज ही मोदी जी को बहुत पसंद करने वाले बड़े मीडिया हाउस के एक पत्रकार ने अपने एक्स हैंडल पर जानकारी शेयर की कि मोदी जी आजकल दिन में सिर्फ दो बार नारियल पानी पी रहे हैं, इसके बावजूद उनकी ऊर्जा कमाल की है. सच में सिर्फ दो टाइम नारियल पानी पे गुज़ारा वो भी पिछले कई दिनों से और आगे कई दिनों तक, कोई आसान काम नहीं हैं। ऐसा सिर्फ मोदी जी ही कर सकते हैं। शायद इसीलिए लोग कहते हैं कि मोदी जी के लिए सबकुछ मुमकिन है, भावुक होना भी. वैसे इस समय तो उनकी भावुकता बनती भी है. देश में राम लहर चल रही है, मोदी जी पूरी भाजपा के साथ उस लहर पर सवार हैं। उसके बाद चुनाव की लहरें उठने वाली हैं, उन लहरों पर भी राम मंदिर रुपी नाव पर बैठकर मंज़िल तक पहुंचना है, इस बीच कई ऐसे पड़ाव आएंगे जब प्रधानमंत्री भावुक होंगे। आप बस देखते रहिये।