मेरठ। मेरठ सहित 62 छावनी परिषदोंं के चुनाव स्थगित कर दिए गए हैं। चुनाव स्थगित होने की जानकारी जैसे ही दावेदारों को मिली उनकी सभी तैयारियां धरी रह गई। चुना स्थगित होने की सूचना ने दावेदारों को सकते में डाल दिया है। बता दें कि दावेदारों की तरफ से चुनाव को लेकर सभी कार्य पूरे कर लिए गए थे।
मेरठ की बात करें तो वर्ष 2015 में मेरठ में मतदाताओं की संख्या 63000 थी। कोर्ट के आदेश पर छावनी के करीब 50 प्रतिशत लोगों के वोट काट दिए गए थे। वोट कटने के बाद ये संख्या लगभग 28000 रह गई है। ऐसे में मतदाताओं में आक्रोश है।
प्रत्याशी भी इस बात से नाराज हैं कि जो मतदाता विधानसभा में वोट करता है, उसको छावनी बोर्ड में चुनाव का अधिकार नहीं है। इन बातों को उच्च स्तर पर भी जिला स्तर के माध्यम से भेजा है। परिणाम स्वरूप सरकार की तरफ से इस संबंध में वैचारिक निर्णय लेने तक चुनाव स्थगित करने की चर्चाएं थीं। अब आखिरकार चुनाव स्थगित ही कर दिया गया।
भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है कैंट बोर्ड का चुनाव
छावनी परिषद के चुनाव भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण होते हैं। बता दें मेरठ कैंट विधानसभा का 70 प्रतिशत हिस्सा मेरठ छावनी परिषद क्षेत्र में आता है। इसलिए मेरठ छावनी परिषद के चुनाव भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण होते हैं। हालांकि छावनी परिषद चुनाव हट जाने से पार्टी संगठन ने राहत की सांस ली है। इस बार मेरठ छावनी परिषद चुनाव के लिए भाजपा में टिकट दावेदारों की लंबी सूची थी। सभी भाजपा से टिकट मिलने के दावे भी कर रहे थे।