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Paints Market: कच्चे तेल में उतार चढाव से भारतीय पेंट बाजार में 27% की गिरावट

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नई दिल्ली। अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल में उतार—चढ़ाव का असर भारतीय पेंट बाजार पर पड़ा है। भारतीय पेंट बाजार की प्रमुख कंपनियां 5 से 27 प्रतिशत तक घाटे में चली गई हैं।
जानकारों का कहना है कि वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में मुनाफा मार्जिन में संभावित सुधार पेंट कंपनियों के शेयरों का परिदृश्य मजबूत बनाने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और इस क्षेत्र में तेजी से बढ़ रही प्रतिस्पर्धा से दबाव बना हुआ है।

पेंट कंपनियों के शेयर बाजार में भारी गिरावट

निवेशकों को पिछले साल के दौरान इन शेयरों में आई भारी गिरावट के बावजूद अल्पाव​धि से मध्याव​धि के दौरान इस क्षेत्र से परहेज करने का सुझाव दिया है। ए​शियन पेंट्स, बर्जर पेंट्स, इंडिगो पेंट्स, कनसाई नैरोलैक और शालीमार पेंट्स में पिछले 6 महीनों के दौरान 5-27 प्रतिशत के बीच गिरावट दर्ज की गई है। जबकि इस अव​धि में सेंसेक्स करीब 5 प्रतिशत चढ़ा।

तीसरे तिमाही मार्जिन पर बढ़ा दबाव

पेंट कंपनियां वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में मार्जिन में सुधार दर्ज करेंगी, क्योंकि हाल के महीनों में कच्चे तेल में नरमी आई है। हालांकि ओपेक+ द्वारा ताजा उत्पादन कटौती के बाद यदि कीमतें फिर से 100 डॉलर पर पहुंचती हैं तो वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही से मार्जिन पर दबाव बढ़ सकता है। इसलिए, अल्पाव​धि से मध्याव​धि में, पेंट शेयरों से परहेज किया जाना चाहिए, जबकि दीर्घाव​धि नजरिये से हम ए​शियन पेंट्स को पसंद कर रहे हैं।’

पेंट निर्माताओं का आय प्रदर्शन मॉनसून लंबा ​खिंचने और बिक्री में कमजोरी की वजह से दिसंबर तिमाही में सुस्त रहा, जिससे अक्टूबर और नवंबर में मांग प्रभावित हुई। नुवामा इंस्टीट्यूशनल इ​क्विटीज के अनुसार, हालांकि दिसंबर के बाद से सुधार आया है, जिससे चौथी तिमाही में बिक्री वृद्धि को बढ़ावा मिलने की संभावना है।

प्रतिस्पर्धी बने चुनौती

जेएसडब्ल्यू समूह, जेके सीमेंट और आदित्य बिड़ला समूह की कंपनी ग्रासिम ने पेंट उद्योग में पैठ बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। 10,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत खर्च के साथ ग्रासिक दूसरी सबसे बड़ी पेंट कंपनी बनने पर ध्यान दे रही है। यह पूंजीगत खर्च अगले 3 साल के दौरान इस क्षेत्र के कुल संभावित खर्च का करीब 50 प्रतिशत है।
ग्रासिम अपने सीमेंट व्यवसाय की वितरण पहुंच का लाभ उठा सकती है, हालांकि उनका मानना है कि उसे ए​शियन पेंट्स जैसी बड़ी कंपनियों के मुकाबले छोटी क्षेत्रीय कंपनियों से ज्यादा प्रभाव का सामना करना पड़ सकता है। उनका कहना है कि फिर भी, बढ़ती प्रतिस्पर्धा से इस क्षेत्र की मूल्य निर्धारण क्षमता प्रभावित हो सकती है।
शीर्ष-5 कंपनियों – ए​शियन पेंट्स, बर्जर पेंट्स, कनसाई नैरोलैक, इंडिगो पेंट्स और एकजो नोबल इंडिया का कुल पेंट एवं कोटिंग में 65 प्रतिशत और डेकोरेटिव पेंट बाजार में 75 प्रतिशत योगदान है।
ए​शियन पेंट्स बाजार दिग्गज है और संगठित बाजार की 50 प्रतिशत भागीदारी में सफल रही है, जिसके बाद 17 प्रतिशत के साथ बर्जर पेंट्स का दबदबा है।
इसके अलावा, प्रतिस्पर्धी तीव्रता से भी मार्जिन और मुनाफा प्रभावित हो सकता है, क्योंकि कंपनियां बाजार भागीदारी बचाने के लिए कीमत कटौती के लिए बाध्य हो सकती हैं।

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