नयी दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा है कि बौद्धिक संपदा 21 वीं सदी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और एक स्टार्टअप को सफल होने के लिए इनोवेशन और आविष्कारों को पेटेंट कराना महत्वपूर्ण है क्योंकि जब एक स्टार्टअप अपने विचारों का पेटेंट कराता है, तो इसका मूल्य कई गुना बढ़ जाता है, जो अधिक निवेशकों को आकर्षित करता है।
डॉ ‘निशंक’ ने गुजरात सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा राज्य स्तरीय बौद्धिक संपदा सुविधा केंद्र का उद्घाटन करते हुए गुुरुवार को कहा कि हमें अर्थव्यवस्था में स्टार्टअप के महत्व को कम नहीं मानना चाहिए, वे छोटी कंपनियां हो सकती हैं, लेकिन वे किसी देश के समग्र आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह स्टार्टअप ही हैं जो नौकरियों का सृजन करती हैं, जिसका अर्थ है ज्यादा रोजगार और ज्यादा रोजगार का मतलब है और बेहतर अर्थव्यवस्था।
उन्होंने कहा,“ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम में कहा था कि इस देश में युवा वैज्ञानिक के लिए उनका आदर्श सिद्धांत है, इनोवेट, पेटेंट, प्रोड्यूस एवं प्रॉस्पर और ये चार कदम हमारे देश को तेजी से विकास की ओर ले जाएंगे। उनके विज़न को एक मिशन के रूप में लेते हुए, इनोवेशन और बौद्धिक संपदा को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा मंत्रालय के इनोवेशन सेल ने स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन, इंटरनेशनल हैकाथॉन, इंस्टीट्यूशन के इनोवेशन काउंसिल, यूयूकेटीआई 2.0, आदि जैसी कई पहलें शुरू की हैं। उनके परिणामों को एआरआईआईए और केएपीआईएलए के माध्यम से मापा जाता है। राष्ट्रीय नवाचार और स्टार्ट-अप नीति 2019 और राष्ट्रीय नवाचार प्रतियोगिता भी शुरू की गई।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उनका मानना है कि राज्य स्तरीय आईपी सुविधा केंद्र का शुभारंभ एक बेहतरीन पहल है। इस पहल के माध्यम से राज्य शिक्षा विभाग अब छात्रों, इनोवेटरों और स्टार्टअप्स को आईपी सपोर्ट की पूरी लागत का ध्यान रखेगा। अगर आप ध्यान दें तो इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (आईपी) को आमतौर पर महंगा मामला माना जाता है और अक्सर स्टार्टअप और व्यक्तिगत इंडिविजुअल इनोवेटर्स के लिए बैरियर के तौर पर काम करता है। राज्य स्तरीय आईपी फैसिलिटेशन सेंटर की शुरुआत एक बड़ी पहल है, जिसके जरिए स्टूडेंट्स, इनोवेटर्स और स्टार्टअप्स के आईपी सपोर्ट की पूरी लागत का ध्यान राज्य शिक्षा विभाग द्वारा रखा जाएगा।