नयी दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने शिक्षा का लोकतंत्रीकरण किया है और इसके प्रावधानों से भारत शिक्षा का एक वैश्विक गंतव्य बनेगा।
शिक्षा का लोकतंत्रीकरण
डॉ. निशंक ने “भारत -उच्च शिक्षा हेतु वैश्विक गंतव्य: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020” वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति ने शिक्षा का लोकतंत्रीकरण किया है और इसमें दिए गए प्रावधानों से भारत शिक्षा का एक वैश्विक गंतव्य बनेगा।
NEP में नई दृष्टि तैयार करने की क्षमता
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “भारत और विदेशों के प्रख्यात अकादमिक और उद्योग विशेषज्ञों की इस विद्वत सभा को देखकर बेहद ख़ुशी हुई। सबसे अच्छी बात यह है कि सभी नई शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय संकाय और छात्रों के एक केंद्र के रूप में भारत की संभावनाओं पर विचार करने के लिए एकत्रित हुए हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 में हमारी प्रतिभा, गतिशीलता और विभिन्न अकादमिक विषयों में नवीनतम निष्कर्षों और प्रगति के साथ हमारी प्राचीन विरासत की सर्वश्रेष्ठ परंपराओं को जोड़ने की हमारी क्षमता के माध्यम से न केवल भारत बल्कि अखिल विश्व की शिक्षा प्रणाली के लिए नई दृष्टि तैयार करने की क्षमता है।”
उन्होनें कहा ,” हमारी पांच हजार साल प्राचीन संस्कृति शिक्षा प्रणाली, वर्तमान में अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए कोई नई बात नहीं है। पश्चिम में यूनानियों, फारसियों और अरबों से लेकर पूर्व में तिब्बतियों, चीनी, जापानियों तक समस्त विश्व के अनेक विद्वानों ने तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला, शारदा और हमारे अन्य प्राचीन विश्वविद्यालयों में अध्ययन किया है।”
वैश्विक शिक्षा प्रणाली में आए त्वरित परिवर्तनों हम पिछड़े
डॉ. निशंक ने कहा ,” मैं मानता हूँ कि हमारे शिक्षण संस्थानों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, परंतु फिर भी हम वैश्विक शिक्षा प्रणाली में आए त्वरित परिवर्तनों के दौर में कहीं पिछड़ गए हैं। हमारे अपने देश में समग्र उपलब्धियों का मार्ग प्रशस्त हुआ है किंतु शिक्षा प्रणाली इससे अछूती रह गई है। इस मामले में आईआईटी और कुछ अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा लाए गए मौलिक परिवर्तनों जैसे कि अंतः शाखाओं में अध्ययन कार्यक्रम, छात्रों को अपनी सर्वश्रेष्ठ नैसर्गिक प्रतिभा के निखारने के लिए प्रोत्साहित करने वाले कार्यक्रम, उनके मस्तिष्क को बंधे-बंधाए आजीविका के ढर्रे से मुक्त करना या दूसरों की महत्वाकांक्षा के बोझ ढोने से मुक्त होना, औपचारिक शिक्षा से अल्पअवकाश लेना और आईआईटी जैसे संस्थानों में नहीं होने के बावजूद शैक्षिक संसाधनों से सर्वश्रेष्ठ लाभ प्राप्त करना, जैसे प्रावधानों से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने अंततः शिक्षा का लोकतंत्रीकरण किया है।”