नयी दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि नई शिक्षा नीति में भारतीय संस्कृति और शिक्षा को समाहित किया गया है और इसमें भारतीय भाषाओं, कला और संस्कृति के संवर्धन पर ज़ोर दिया गया है ताकि छात्रों का सर्वांगीण विकास किया जा सके।
डॉ. निशंक ने शुक्रवार को यहाँ पर मानव संसाधन विकास केंद्र, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी तथा रिसर्च फॉर रिसर्जेंस फाउंडेशन द्वारा ‘समग्र विकास के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति: मुद्दे, चुनौतियाँ और आगे का रास्ता’ पर एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति में भारतीय संस्कृति और शिक्षा को समाहित किया गया है और इसमें भारतीय भाषाओं, कला और संस्कृति के संवर्धन पर ज़ोर दिया गया है ताकि छात्रों का सर्वांगीण विकास किया जा सके।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा को नई दिशा प्रदान करने वाली नवाचारी शिक्षा नीति पर चर्चा करना बेहद महत्वपूर्ण और आवश्यक है। शिक्षा राष्ट्रीय तथा मानवीय आदर्शों एवं लक्ष्यों को प्राप्त करने का अपरिहार्य माध्यम है। इन्हीं आदर्शों और वास्तविक लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक ऐतिहासिक तथा प्रासंगिक पहल है। इस शिक्षा नीति के प्रति व्यापक जन-जागरूकता उत्पन्न करना एक राष्ट्रीय तथा सामजिक कर्तव्य प्रतीत होता है।
डॉ. निशंक ने कहा, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्माण में सभी राष्ट्रवासियों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है क्योंकि इसके ड्राफ्ट को न सिर्फ 130 करोड़ भारतीयों के सुझाव के बाद तैयार किया गया बल्कि अलग-अलग क्षेत्र, वर्ग और आयु के लोगों को इससे जोड़ कर इसे तैयार किया गया जिसका उद्देश्य अंकपरक नहीं अपितु ज्ञानपरक शिक्षा प्रदान करना है।”
केंद्रीय मंत्री ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों के बारे में बताते हुए कहा कि यह नीति बहुआयामी, लचीली तथा समग्र है, और कौशल विकास पर आधारित है जिसका सभी प्रगतिशील मानसिकता रखने वाले शिक्षक और शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले विशेषज्ञों ने स्वागत किया है।