- संत के सपने में आया सोना तो सरकार कराने लगी थी खुदाई
- संत विरक्तानंद सरस्वती के अंतिम दर्शन को उमड़ा भक्तों का हुजूम
न्यूज़ डेस्क : संत विरक्तानंद सरस्वती का बुधवार को निधन हो गया.बाबा शोभन सरकार के नाम से वल्र्ड फेमस संत ने सुबह 5 बजे अपने आश्रम स्थित आरोग्य धाम अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनके ब्रह्मलीन होने की खबर लगते ही इलाके में शोक की लहर दौड़ गई.बड़ी संख्या में श्रद्धालु उनके अंतिम दर्शन को पहुंचे. भक्तों की भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है. शोभन मंदिर और आश्रम में बड़ी संख्या में पुलिस को तैनात कर दिया गया है.हर कोई शोभनसरकार के अंतिम दर्शन को व्याकुल दिख रहा है. गौरतलब है कि कानपुर देहात के शिवली कोतवाली क्षेत्र के बैरी में उनके आश्रम बना हुआ है.उनके निधन पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने दु:ख जताया है. शोभन सरकार का अंतिम संस्कार चौबेपुर के सुनौहरा आश्रम में गंगा किनारे होगा. महंत विरक्तानंद सरस्वती, शोभन सरकार के नाम से विख्यात थे. साथ ही खजाने की भविष्यवाणी कर देश-विदेश की मीडिया की सुर्खियों में रहे थे.
रास्ता किया गया सील
बंदी माता तिराहा चौबेपुर पूरी तरह से सील किया गया कोई भी वाहन बंदी माता तिराहा सुनौढा के लिए प्रवेश वर्जित किया गया बिल्लौर सीओ देवेन्द्र मिश्रा मौके पर बंदी माता तिराहे पर मैं फोर्स के साथ मौजूद पैदल से लगाकर कोई भी मोटरसाइकिल या फोर व्हीलर वाहन बंदी माता के गांव नहीं जाएगा शोभन सरकार पार्थिक शव कुछ देर बाद सुनौढा गांव पहुंच रहा है मौके पर जीटी रोड स्थित बंदी माता तिराहे पर कई थानों की फोर्स मौजूद भक्तों का लगा जमावड़ा मौके पर पुलिस प्रशासन हुआ लगा बंदी माता तिराहा चौबेपुर में कई थानों की फोर्स मौके पर मौजूद कई आलाधिकारी मौके पर पहुंचे
बाबा को भगवान का अवतार मानते थे लोग
महंत विरक्ता नन्द (शोभन सरकार) का जन्म कानपुर देहात के शिवली में हुआ था. उनके पिता का नाम पंडित कैलाशनाथ तिवारी था. कहते हैं कि शोभन सरकार को 11 साल की उम्र में वैराग्य प्राप्त हो गया था. शोभन सरकार ने गांव के लोगों के लिए कई तरह के जनहित के काम किए हैं. यही वजह है कि गांव वाले भी उन्हें अब भगवान की तरह मानने लगे हैं. कानपुर ही नहीं देश और विदेश में उनके भक्त हैं.
सादा था उनका जीवन
कहते हैं कि शोभन सरकार को 11 साल की उम्र में वैराग्य प्राप्त हो गया था.हैरानी की बात ये है कि किसी आम साधु की तरह इनके माथे पर तिलक नहीं होता और ना चंदन के त्रिपुंड बने होते थे. कपड़े के नाम पर वह सिर पर साफा बांधते थे. गेरुए रंग की लंगोट पहनते थे. सिर पर चादर बांधते थे और बदन पर अंगवस्त्र होता था. आसपास के एरिया में उन्होंने बहुत विकास कार्य कराए थे.शोभन सरकार भगवान राम और हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त माने जाते हैं. यहां बताया जाता है कि उन्होंने राम और हनुमान के कई मंदिरों का निर्माण भी करवाया है. आश्रम से जुड़े लोग बताते हैं कि उन्होंने गुरु स्वामी सत्संगानंद जी से आठ वर्ष तक दीक्षा ली थी. उन्हीं के कहने पर उन्होंने कानपुर के शिवली स्थित शोभन में आश्रम का निर्माण कराया.
अक्टूबर 2013 में सोना होने का किया था दावा
अक्टूबर 2013 में शोभन सरकार ने दावा किया था कि यूपी के उन्नाव स्थित डोंडियाखेड़ा में राजा राव राम बख्श सिंह के किले में एक हजार टन सोने का खजाना दबा हुआ है. बाबा का उन्नाव के आसपास बहुत प्रभाव था. किले के पास शोभन सरकार का आश्रम भी था. इसके बाद ही साधु शोभन सरकार ने सरकार से सोना निकलवाने की बात कही थी.उसके बाद सरकार ने उनके सपने को सच मानते हुए खजाने को खोजने के लिए खुदाई भी शुरू करवा दी. हालांकि कई दिनों तक चली खुदाई के बाद भी खजाना नहीं मिला था.एक साधु के सपने के आधार पर खजाने की खोज पर उस समय केंद्र व प्रदेश सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी. तत्कालीन विहिप के नेता अशोक सिंघल ने कहा था कि सिर्फ एक साधु के सपने के आधार पर खुदाई करना सही नहीं है. वहीं, खजाने की खुदाई के दौरान कई दावेदार भी सामने आ गए थे. राजा के वंशज ने भी उन्नाव में डेरा जमा दिया था. वहीं ग्रामीणों ने भी खजाने पर दावा किया था.
देशवासियों का हक
उसके बाद तत्कालीन केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया था कि खजाने पर सिर्फ देशवासियों का हक होगा. उधर तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने कहा था कि खजाने से निकली संपत्ति पर राज्य सरकार का हक होगा. यह खजाना ढौंडिया खेड़ा स्टेट के पच्चीसवें शासक राजा राव राम बक्श सिंह के किले के अवशेषों में दबा बताया गया था.