कर्नाटक विधानसभा के चुनाव अगले महीने हो सकते हैं, ऐसे में सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने सत्ता बरकरार रखने और सत्ता हासिल करने में पूरा ज़ोर लगा रखा है वहीँ इन मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के लिए जनता दल (एस) ने भी कोशिश शुरू कर दी है. वो चाहती है कि एकबार फिर वो किंग मेकर की पोजीशन में पहुँच जाय और भाजपा या कांग्रेस उनके बिना सरकार बनाने में सक्षम न हों. ऐसी स्थिति में उसे दोनों पार्टियों में किसी के भी साथ जाने से परहेज़ नहीं रहेगा।
37 सीटों पर कुमारस्वामी बन गए थे सीएम
पिछली बार पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगोड़ा की पार्टी जनता दल (एस) ने 37 सीटों पर कामयाबी हासिल की थी और परिस्थितियों का फायदा उठाकर कांग्रेस की मदद से बेटे कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचा दिया था, ये अलग बाद है कि भाजपा ने उन्हें उस कुर्सी पर चैन से बैठने नहीं दिया और तोड़फोड़ कर उन्हें सत्ता से हटाकर दोबारा सत्ता हथिया ली. सत्ता हाथ से निकलने के बाद जनता दल (एस) आराम की दिशा में चली गयी लेकिन कांग्रेस पार्टी ने लगातार अगले चुनाव के लिए खुद को जुझारू बनाया और भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चे खोलती रही.
वोक्कालिंगा समुदाय में कांग्रेस ने की है घुसपैठ
अब जब चुनाव सर पर आ गए हैं तो जनता दल (एस) में फिर सरगर्मी शुरू हुई है. उसका प्रयास है कि वोक्कालिंगा समुदाय के वोट बैंक के सहारे वो एकबार फिर इस पोजीशन में आ जाए जहाँ दोनों पार्टियों को उसकी ज़रुरत हो लेकिन इसबार उसके लिए लड़ाई थोड़ी मुश्किल लग रही है. एक तो राज्य में बनी परिस्थितियों को देखकर यही लग रहा है कि इसबार भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला है, दूसरे कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डी शिवकुमार भी इसी समुदाय से आते हैं और उन्होंने पिछले पांच सालों में काफी मेहनत की है विशेषकर इस समुदाय को अपनी तरफ खींचने में.