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Ukhimath Mandir: उखीमठ जहां भगवान शिव के 5 रूपों के एक साथ होते हैं दर्शन

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रुद्रप्रयाग- उखीमठ भगवान केदारनाथ का शीतकालीन दरबार जहां बाबा की उत्सव डोली का शीतकालीन प्रवास होता है, केवल अपने धार्मिक महत्व के लिए कि नहीं बल्कि प्रकृति के मनमोहक नजरों के लिए भी भक्तों के मन को भाता है. रुद्रप्रयाग मुख्यालय से करीब 41 किलोमीटर दूर स्थित ‘उखीमठ’ को चार धाम यात्रा का केंद्र भी कहा जाता है. यहां से केदारनाथ-बद्रीनाथ के साथ साथ चोपता-देवरिया ताल जैसे हिल स्टेशन के लिए भी जाया जा सकता है. आज हम आपको उखीमठ के ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के साथ-साथ यहां की खूबसूरती के बारे में विस्तार से बताते हैं.

‘उषमठ’ से बना “उखीमठ”

समुद्र तल से करीब 1300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित उखीमठ को पंच केदार का केंद्र स्थल भी माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बाणासुर की बेटी उषा का विवाह भगवान श्री कृष्ण के पोते अनिरुद्ध के साथ इसी स्थान पर हुआ था. जिस मंडप में यह विवाह हुआ था वह मंडप आज भी यहां मौजूद है. उषा की शादी अनिरुद्ध से होने के बाद उस जगह को ‘उषामठ’ कहा जाने लगा दो बाद में “उखीमठ” कहलाया.

राजा मांधाता की तपस्थली

उखीमठ भगवान शिव, उषा, देवी पार्वती, अनिरुद्ध और मांधाता को समर्पित प्राचीन मंदिरों की पवित्र भूमि है. यहां राजा मांधाता की पत्थर की एक मूर्ति स्थापित है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राजा मांधाता ने अपने अंतिम समय में राजपाट त्याग कर उखीमठ आ गए थे. यहां पर उन्होंने भगवान शिव की एक पैर पर खड़े होकर 12 साल तक तपस्या की. अंत में भगवान शिव “ओंकार” के रूप में प्रकट हुए और राजा मांधाता को आशीर्वाद दिया. जिसके बाद यह स्थान ‘ओंकारेश्वर’ के नाम से जाने जाने लगा.

प्रकृति का आशीर्वाद

यूं तो समूचे उत्तराखंड में प्राकृतिक सौंदर्य की अकूत संपदा देखने को मिलती है जिसमें उखीमठ इसमें सबसे अलग नजर आता है यहां से आपको केदारनाथ शिखर चौखंबा पर्वत और बहुत सी सुंदर हरी घटिया देखने को मिलती हैं प्रकृति के इन मनोरम दृश्यों को देखकर आप अपनी इस धार्मिक यात्रा में आनंदित हो जाते हैं.

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