नैनीताल – उत्तराखंड में आपको आध्यात्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का अनूठा संगम हर कहीं देखने को मिलेगा. आज हम आपको उत्तराखंड के कैसे स्थान के बारे में बताते हैं, जहां धार्मिक और प्राकृतिक महत्व के साथ-साथ ऐतिहासिक बेमिसाल झलक आपको देखने को मिलेगी. हम बात कर रहे हैं नैनीताल से करीब 51 किलोमीटर दूर स्थित “मुक्तेश्वर” की. भगवान शिव के प्राचीन मंदिर मुक्तेश्वर धाम से इस स्थान का नाम ‘मुक्तेश्वर’ पड़ा. जो आज न केवल प्रकृति प्रेमियों बल्कि साहसी गतिविधियों में रुचि रखने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. अगर आप एक ही जगह पर कभी ना भूलने वाली प्रकृति की मिठास और आध्यात्मिक लाभ दोनों एक साथ लेना चाहते हैं तो इस बार मुक्तेश्वर जरूर घूमने आए.
मुक्तेश्वर महादेव मंदिर
भगवान शिव के 18 प्रमुख मंदिरों में से एक मुक्तेश्वर महादेव मंदिर पहाड़ी के ऊपर स्थित है. मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 100 सीढ़ियां चढ़ने होती है. मंदिर में शिवलिंग को ब्रह्मा, विष्णु, पार्वती, हनुमान, गणेश की मूर्तियों से गिरा हुआ रखा गया है. इस स्थान पर आकर आपको आध्यात्मिक और मानसिक शांति मिलेगी. माना जाता है कि पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण अपने अज्ञातवास के दौरान किया था. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि भगवान शिव अक्सर इस स्थान पर तपस्या किया करते थे, कहा जाता है कि भगवान शिव एक बार तपस्या में थे, उस दौरान जागेश्वर के निकट जागेश्वर धाम जाने के लिए बाबा गोरखनाथ की यात्रा में व्यवधान हुआ. जिस पर उन्होंने बड़ी चट्टान पर अपने गंडासे से वार किया और बड़े छिद्र नुमा रास्ते का निर्माण किया. मान्यता है कि इस चित्र से पर होने पर महिलाओं को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है.
चौली की जाली
चौली की जाली अपने धार्मिक महत्व के साथ-साथ साहसिक खेलों के लिए भी खासी लोकप्रिय है. चौली की जाली मुक्तेश्वर महादेव मंदिर के पास स्थित है. इसकी चट्टान से रैपलिंग और पर्वतारोहण जैसे साहसी खेलो के प्रेमी रोमांच का आनंद लेने यहां पहुंचते हैं.
आइ वी आर आई ब्रिटिश राज की वास्तु कला
फलों के बगीचे और देवदार के घने जंगलों के बीच 1893 में अंग्रेजों ने रिसर्च एंड स्टडी संस्थान के रूप में इसका निर्माण किया था. जो आज के समय में ‘भारतीय पशु अनुसंधान केंद्र’ के रूप में जाना जाता है. इसमें आपको ब्रिटिश शैली की वास्तु कला देखने को मिलती है, साथ ही यहां पुस्तकालय और बड़ा संग्रहालय भी है जो यहां आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करने के साथ-साथ इतिहास की जानकारी भी देता है.