अल्मोड़ा – देवभूमि उत्तराखंड अपने धार्मिक स्थलों और मंदिरों के लिए दुनिया भर में जाने जाता है. आज हम आपको ऐसे मंदिर के बारे में बताते हैं जो न केवल अपनी धार्मिक मान्यताओं के लिए जाना जाता है. बल्कि यह मंदिर नासा के वैज्ञानिकों के लिए भी रिसर्च का विषय बना हुआ है. हम बात कर रहे हैं अल्मोड़ा जिले के कसार देवी मंदिर की. कसार देवी मंदिर यूं तो मां दुर्गा की कात्यायनी रुप का मंदिर माना जाता है. लेकिन यह स्थान दुनिया का तीसरा जबकि भारत का पहली ऐसी जगह है जहां खास चुंबकीय शक्तियां मौजूद है. शायद यही वजह है कि यह मंदिर वैज्ञानिकों के लिए साइंटिफिक रिसर्च का एक विषय बना हुआ है.
वैज्ञानिकों के लिए रिसर्च का विषय कसार देवी मंदिर
दूसरी शताब्दी में बनाए गए मां कसार देवी के मंदिर के कण-कण में मां की शक्तियों का एहसास होता है मंदिर की इन शक्तियों को देखकर बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी हैरान हैं यहां पर समय-समय पर कई तरह की साइंटिफिक रिसर्च भी चलती रहती है कहा जाता है कि यह मंदिर चुंबकीय शक्तियों से भरा हुआ है वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार कसार देवी मंदिर को नासा परिसर में जीपीएस 8 केंद्र से भी चिन्हित किया गया है अपनी चुंबकीय शक्तियों के चलते इस मंदिर में कई तरह की वैज्ञानिक रिसर्च होती रही हैं.
कसार देवी का ऐतिहासिक महत्व
अल्मोड़ा बागेश्वर हाईवे पर कसार गांव में स्थित है कसार देवी मंदिर. यह मंदिर कश्यप पहाड़ी की चोटी पर गुफा नुमा जगह पर बना हुआ है. माना जाता है कि दूसरी शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण किया गया था. कसार देवी मंदिर में मां दुर्गा की पूजा की जाती है और कहा जाता है कि यहां पर मां दुर्गा साक्षात प्रकट हुई थी. अल्मोड़ा घूमने आने वाले पर्यटक कसार देवी मंदिर के दर्शन करने के लिए अवश्य पहुंचते हैं. इस मंदिर में दर्शन करने के का सबसे उत्तम समय दिसंबर से जनवरी के बीच माना जाता है. अपनी धार्मिक मान्यताओं के साथ-साथ यह मंदिर ध्यान और साधना का भी प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है. इस मंदिर में स्वामी विवेकानंद ने भी ध्यान साधना की थी.
हर साल लगने वाले मेले में देश विदेश से पहुंचते हैं भक्त
अल्मोड़ा के कसार गांव में स्थित कसार देवी मंदिर अपनी धार्मिक मान्यताओं के लिए जाना जाता है. इस मंदिर में हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता है. इस मेले में देश के कोने-कोने से लोग शामिल होने यहां पहुंचते हैं.