अल्मोड़ा- गोलू देवता को उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल का पौराणिक और ऐतिहासिक भगवान माना जाता है. डाना गोलू देवता को गौर भैरव यानी शिव के अवतार के रूप में देखा जाता है. इलाके में डाना गोलू देवता (Golu Devta Mandir) को न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है. यहां लोगों का विश्वास है कि डाना गोलू देवता को सफेद कपड़ा,सफेद पगड़ी और सफेद शॉल भेंट की जाती है. यूं तो कुमाऊं में गोलू देवता के कई मंदिर हैं जिसमें सबसे प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय डाना गोलू देवता गैराड मंदिर माना जाता है. अल्मोड़ा से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर में दूर-दूर से लोग मनोकामना पूर्ति और न्याय के लिए दर्शन करते हैं.
न्याय के देवता-डाना गोलू देवता (Dana Golu Devta Mandir)
कुमाऊ के कई गांव के लिए इस देवता के रूप में स्थापित गोलू देवता (Golu Devta Mandir) आज न्याय के देवता के रूप में पूजे जाते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु गोलू देवता को सफेद कपड़ा, पगड़ी और शाल के साथ-साथ घंटी भी चढ़ाते हैं. ऐसी मान्यता भी है कि इस मंदिर में अपनी अर्जी लिखकर चढ़ाई जाए तो मनोकामना पूर्ण होती है.

धार्मिक मान्यताएं
माना जाता है कि पौराणिक काल में कल्याण सिंह बिष्ट का जन्म कत्युडा ग्राम में हुआ था. कल्याण सिंह को बाद में कल बिष्ट के नाम से भी जाना जाने लगा. छोटी उम्र में ही उन्होंने कई शैतानों पर विजय प्राप्त की. जिसके चलते कल्याण सिंह लोगों के बीच न्याय के व्यक्ति के रूप में जाने जाने लगे. कल्याण सिंह गरीब और असहाय व्यक्तियों की मदद किया करते थे. उनकी इसी प्रसिद्धि से परेशान होकर पाटिया चंद्रवंशी राजाओं ने कल्याण सिंह बिष्ट को को धोखे से मरवा दिया था. कहा जाता है कि कल्याण सिंह बिष्ट भैंस चराने के लिए जंगल में जाया करते थे. उन्हीं के किसी नजदीकी ने कल्याण सिंह बिष्ट के शरीर के दो टुकड़े कर दिए. इसके बाद उनका सिर और धड़ दोनों अलग-अलग दिशाओं में चलने लगे. कहा जाता है कि उनके जानवर भी उनके धड़ और सिर के पीछे चलने लगी. जिन्होंने मंदिर के आसपास उन्होंने पत्थर रूपी चट्टानों का रूप ले लिया.