https://www.themissioncantina.com/ https://safeonline.it/slot-bonus-new-member/ https://www.salihacooks.com/ https://hindi.buzinessbytes.com/slot-bonus-new-member/ https://jalanimports.co.nz/rtp-live https://geetachhabra.com/slot-bonus-new-member/ bocoran slot jarwo https://americanstorageakron.com/ https://test.bak.regjeringen.no/ https://www.cclm.cl/imgCumples/

Baleshwar Mahadev Mandir – जहां भगवान शिव ने बाल रूप में दिए थे दर्शन

धर्मBaleshwar Mahadev Mandir - जहां भगवान शिव ने बाल रूप में दिए...

Date:

चंपावत – देवभूमि उत्तराखंड को भगवान शिव की तपस्थली कहा जाता है, यही वजह है कि उत्तराखंड में भोलेनाथ के कई प्रसिद्ध मंदिर स्थित है. आज हम आपको भगवान शिव के मंदिर के बारे में बताते हैं जहां भोलेनाथ में बाल रूप में दर्शन दिए थे. कुमाऊं क्षेत्र के इस प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण चंद वंश के राजाओं ने 12 वीं शताब्दी में कराया था. बालेश्वर महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध यह धार्मिक स्थल अपनी खूबसूरती और बेजोड़ नक्काशी से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. मंदिर के हर हिस्से में कई तरह की कलाकृति आपको देखने को मिलेंगे.

धार्मिक महत्व

बालेश्वर महादेव मंदिर के बारे में धार्मिक मान्यता है कि त्रेता युग में सुग्रीव के भाई बाली ने यहां एक पांव पर खड़े होकर भगवान शिव की तपस्या की थी बाली के तपस्या से खुश होकर भोलेनाथ ने उन्हें बाल रूप में दर्शन देकर स्वयंभू शिवलिंग में समाहित हो गए थे तभी से इस स्थान को बालेश्वर या बालीश्वर कहा जाता है. मंदिर परिसर में कई तरह की मूर्तियां थी, लेकिन वर्तमान समय में मूर्तियों को अलग अलग कर दिया गया है.

अद्भुत नक्काशी पर्यटकों को करती है आकर्षित

बालेश्वर मंदिर में पत्थर की नक्काशी यहां आने वाले श्रद्धालुओं को बार-बार आने पर विवश करती है. मुख्य बालेश्वर मंदिर भगवान भोलेनाथ को समर्पित है. इसके अलावा दो अन्य मंदिर रत्नेश्वर और चंपावती दुर्गा को समर्पित है. यहां आपको आधा दर्जन से भी अधिक स्थापित शिवलिंग देखने को मिलेंगे. मंदिरों की दीवारों पर अलग-अलग इंसानों की मुद्राएं देवी देवताओं की सुंदर आकृतियां बनाई गई है. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण चंद्र शासकों ने जगन्नाथ मिस्त्री से करवाया था, जिसने अपनी कला को मंदिरों की दीवारों में उड़ेल दिया था. जिसके बाद चंद्र शासकों ने जगन्नाथ मिस्त्री का एक हाथ कटवा दिया था ताकि इस तरह की कलाकृति दूसरे किसी मंदिर में ना बनाई जा सके. मौजूदा समय में बालेश्वर मंदिर को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित किया गया है और 1952 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की देखरेख में है.

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

नाखून पड़ गए हैं पीले? इन स्टेप को फॉलो करे!

लाइफस्टाइल डेस्क। नाखूनों की देखभाल उतनी ही जरुरी है...

सपा की बैठक कोलकाता में क्यों?

अमित बिश्‍नोईसमाजवादी पार्टी ने अपनी नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की...

Earthquake: पाकिस्तान में भूकंप से अब तक 12 की मौत 160 से अधिक घायल

कराची। रात में आए भूकंप से पाकिस्तान में तबाही...