कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को उपराष्ट्रपति धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने को मजबूरी बताते हुए कहा कि विपक्ष ने बड़े भारी मन से ये कदम उठाया है क्योंकि राज्यसभा के सभापति ने और कोई चारा ही नहीं छोड़ा। खड़गे ने इस बात को स्पष्ट करते हुए आज प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि विपक्ष को ऐसा क्यों करना पड़ा. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि दरअसल सदन में गतिरोध का सबसे बड़ा कारण खुद उपराष्ट्रपति धनखड़ हैं। वो अपनी अगली पदोन्नति के लिए सरकार के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं. बता दें कि इंडिया ब्लॉक ने मंगलवार को जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद से हटाने के लिए प्रस्ताव का नोटिस दिया है।
बुधवार को घटक दलों के नेताओं के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में खड़गे ने कहा कि उपराष्ट्रपति भारत में दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है। 1952 से अब तक किसी भी उपराष्ट्रपति के खिलाफ कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया क्योंकि वे सभी हमेशा निष्पक्ष और राजनीति से परे रहे हैं। उन्होंने हमेशा नियमों के मुताबिक सदन चलाया। लेकिन आज सदन नियमों से नहीं राजनीतिक प्रतिबद्धताओं से चल रहा। खगड़े ने अफ़सोस जताते हुए कहा कि संविधान को अपनाने के 75वें वर्ष में हमें उपराष्ट्रपति के पक्षपातपूर्ण आचरण के कारण यह प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। खड़गे ने कहा उपराष्ट्रपति धनखड़ सदन में हेडमास्टर की तरह व्यवहार करते हैं, विपक्षी नेताओं को बार-बार बोलने से रोका जाता है। दरअसल धनखड़ की निष्ठा संविधान और संवैधानिक परंपरा के बजाय सत्ता पक्ष के प्रति है।
खड़गे ने कहा कि मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि राज्यसभा में सबसे बड़ा व्यवधान पैदा करने वाला व्यक्ति स्वयं सभापति हैं। उन्होंने दावा किया कि धनखड़ वरिष्ठ विपक्षी नेताओं का भी अपमान करते हैं। उन्होंने संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि हमें अविश्वास प्रस्ताव के लिए यह नोटिस लाना पड़ा। उन्होंने कहा कि हमारी श्री धनखड़ कोई व्यक्तिगत दुश्मनी या राजनीतिक लड़ाई नहीं है। हम अविश्वास प्रस्ताव लेकर देश को यह बताना चाहते हैं कि हमने लोकतंत्र, संविधान की रक्षा के लिए यह कदम उठाया है।