चीनी मीडिया शिन्हुआ के हवाले से बताया कि आज नेपाली सीमा के पास तिब्बत में आये 7.1 तीव्रता के भूकंप में भारी जान माल का नुक्सान हुआ है, जैसे जैसे जानकारियां आती जा रही हैं मरने वालों की संख्या में लगातार इज़ाफ़ा हो रहा है, ताज़ा जानकारी के मुताबिक अबतक 105 लोगों के मरने की सूचना है जिसमें और इज़ाफ़ा हो सकता है। आम तौर पर रिक्टर पैमाने पर 7 से ज़्यादा की तीव्रता वाले भूकंप में काफी जान और माल का नुक्सान होता है और 24 घंटे बाद ही इस बात का सही आंकलन हो बात है कि नुक्सान कितना बड़ा हुआ है.
भूकंप के झटके बिहार, असम और पश्चिम बंगाल समेत भारत के कई हिस्सों में महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र शिगात्से शहर के टिंगरी काउंटी में था। टिंगरी तिब्बत की राजधानी ल्हासा से करीब 400 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में है और नेपाल की सीमा पर है। यह माउंट एवरेस्ट पर जाने वालों के लिए पर्यटन का केंद्र है। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) के अनुसार, भूकंप सुबह 6:35 बजे दर्ज किया गया। एनसीएस के आंकड़ों से पता चलता है कि पहले भूकंप के तुरंत बाद इस क्षेत्र में दो और भूकंप आए। दूसरा भूकंप 4.7 तीव्रता का सुबह 7:02 बजे 10 किलोमीटर की गहराई पर दर्ज किया गया और तीसरा भूकंप 4.9 तीव्रता का सुबह 7:07 बजे 30 किलोमीटर की गहराई पर दर्ज किया गया।
नेपाल एक प्रमुख भूगर्भीय दोष रेखा पर स्थित है, जहाँ भारतीय टेक्टोनिक प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकराती है, जिससे हिमालय बनता है। इस क्षेत्र में भूकंप आना आम बात है। 2015 में, 7.8 तीव्रता वाले विनाशकारी भूकंप में लगभग 9,000 लोग मारे गए और 22,000 से अधिक घायल हो गए, जिससे नेपाल में व्यापक विनाश हुआ, जिसमें पांच लाख से अधिक घर नष्ट हो गए।
बिहार के कुछ हिस्सों में झटके जोरदार महसूस किए गए, जिससे लोग घबराकर अपने घरों और अपार्टमेंटों से बाहर निकल आए। नेपाल भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र है, जहाँ भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटें आपस में टकराती हैं। हिमालय में टेक्टोनिक गतिविधि के कारण, देश में अक्सर भूकंप आते रहते हैं।